चमोली (Chamoli) में आई त्रासदी (Tragedy) ने टिहरी गढ़वाल (Tehri Garhwal) के जितेंद्र धनाई को भी बनाया काल का ग्रास, रेस्क्यू के दौरान मिला शव, खबर से परिजनों में मचा कोहराम..
बीते 7 फरवरी को चमोली (Chamoli) में आई चंद घंटों की त्रासदी (Tragedy) ने न जाने कितने ही लोगों को काल का ग्रास बना लिया, कितने ही घरों की खुशी छीन ली, कितने ही घरों को उजाड़ कर रख दिया और कितने ही लोगों से उनका आशियाना छीन लिया। यह एक ऐसी जल प्रलय थी जिसमें न जाने कितने लोगों के सपने दफन हो गए। राज्य के टिहरी गढ़वाल (Tehri Garhwal) जिले के प्रतापनगर ब्लाक के 30 वर्षीय जितेंद्र सिंह धनाई भी उन्हीं लोगों में से एक है, जिनका शव रविवार को रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान सुरंग से बरामद हुआ। बताया गया है कि जितेंद्र एक इलेक्ट्रीशियन थे, जो बीते चार वर्षों से तपोवन में निर्माणाधीन ऋषिगंगा प्रोजेक्ट में कार्यरत थे। परिवार के इकलौते सहारे जितेंद्र पर माता-पिता, पत्नी और चार वर्षीय एक बेटे के साथ ही बहनों की जिम्मेदारी भी थी। जितेंद्र न केवल परिवार के इकलौते कमाऊं सदस्य थे बल्कि पांच बहनों के इकलौते भाई भी थी। उनकी मौत की खबर से जहां परिवार के साथ ही पूरे गांव में मातम पसर गया वहीं परिवार की आजिविका पर भी संकट उत्पन्न हो गया है।
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पिता की मौत से बेखबर जितेंद्र का तीन वर्षीय पुत्र आरूष एकटक निहार रहा है रोती-बिलखती मां और दादी को:-
प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के टिहरी गढ़वाल जिले के प्रतापनगर ब्लाक के रौलाकोट निवासी जितेंद्र सिंह धनाई का शव बीते रविवार की देर शाम रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही टीमों को बरामद हुआ। बता दें कि उनके पिता मातबर सिंह मानसिक रूप से कमजोर है। पांच बहनों के इकलौते भाई जितेंद्र की मौत से जहां बहनों का रो-रोकर बुरा हाल है वहीं मां ऊषा देवी और पत्नी नीलम की आंखों से भी आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। दुखद खबर को सुनने के बाद से ही दोनों बार-बार बेसुध हो रही है। जितेंद्र का तीन वर्षीय पुत्र आरूष रोती-बिलखती मां और दादी को एकटक निहार रहा है, घर पर सांत्वना देने के लिए आते ग्रामीणों को देखकर पूछने की कोशिश कर रहा है कि आज घर में इतनी भीड़ क्यों है? अपने इन मासूम सवालों को परिजनों से बार-बार दोहराता आरूष अभी तक पिता की मौत की खबर से बेखबर है, उसे क्या पता कि चमोली में आई एक त्रासदी ने उसके सर से पिता का साया छीन लिया है। आस-पड़ोस के ग्रामीण परिजनों को सांत्वना तो दे रहे हैं परन्तु आरूष का मासूम चेहरा देखकर अपनी आंखों को भी नम होने से नहीं रोक पा रहे हैं।
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