उत्तराखण्ड ने हर क्षेत्र में देश को प्रतिभावान युवा दिए है चाहे आप सैन्य क्षेत्र ले लीजिए या फिर कोई बड़ा अनुसन्धान क्षेत्र। ऐसे ही उत्तराखण्ड का एक मेधावी छात्र है चम्पवात जिले के नीरज कुमार जो की अपनी इस खेलने कूदने की उम्र में ‘वैज्ञानिक’, बन गए है। जी हाँ ‘वैज्ञानिक’, एक ऐसा बाल ‘वैज्ञानिक जिसने अपनी रचनात्मकता से ऑटोमैटिक वाटर टैंक प्रोजेक्ट बनाया जिसकी राष्ट्रपति कोविंद ने खाशे प्रशंसा की। बताते चले की उत्तराखंड के चंपावत राजकीय इंटर कॉलेज के आठवीं कक्षा के बाल वैज्ञानिक नीरज कुमार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गांधीनगर में हुए फेस्टिवल ऑफ इनोवेशन एंड इंटरप्रेनरशिप में सम्मानित किया। शुक्रवार को हुए कार्यक्रम में उन्हें इस सम्मान से नवाजा गया। अगर बात करे नीरज कुमार की तो बचपन से ही काफी रचनात्मक सोच वाले रहे है, और उन्हें भौतिक विज्ञान में बहुत रूचि है और वो किताबी दुनिया से हेमशा बाहर प्रयोगात्मक दुनिया में रूचि रखते है।
बता दे की गांधीनगर में हुए फेस्टिवल ऑफ इनोवेशन एंड इंटरप्रेनरशिप कार्यक्रम में देशभर के 60 बाल वैज्ञानिकों को प्रोजेक्टों के लिए सम्मान मिला। कार्यक्रम में देशभर के 60 बाल वैज्ञानिकों को प्रोजेक्टों के लिए सम्मान मिला है। इस मौके पर बाल वैज्ञानिक नीरज कुमार के साथ मार्गदर्शक शिक्षक भौतिक विज्ञान के प्रवक्ता मनोज कुमार जोशी भी थे। नीरज ने अपने प्रोजेक्ट में एक ऑटोमेटिक वाटर टैंक मॉडल बनाया है। लकड़ी का यह बॉक्स पानी के आम टैंक से काफी अलग है। इसके भीतरी भाग में वाटर टैंक है और बाहर की तरफ नल लगा हुआ है। जिसमे एक साथ ही एक प्रेशर-पैड भी बना हुआ है। जैसे ही प्रेशर-पैड पर पांवों की सहायता से दबाव डाला जाता है तुरंत ही नल से पानी निकलने लगता है और जैसे दबाव को हटाया जाता है पानी का निकलना भी बंद हो जाता है। सबसे खाश बात तो ये है की इस प्रोजेक्ट के माध्यम से पानी की बर्बादी को भी रोका जा सकता है।