लाॅकडाउन के कारण फंसे प्रवासी लगातार लगा रहे हैं सरकार से घर वापसी की गुहार, अब मुम्बई (mumbai) में फंसे 22 युवाओं ने लगाई..
लाॅकडाउन के कारण राज्य के बहुत से प्रवासी विभिन्न राज्यों में फंसे हुए हैं। इनमें भी सबसे ज्यादा परेशान वे लोग हैं जो होटलों में काम करते थे क्योंकि इनका रहना-खाना भी होटल में ही होता था। होटलों के बंद होने से इन प्रवासियों के सम्मुख विपरीत परिस्थितियां उत्पन्न हो गई है, खाने-पीने तक के लाले पड़ रहे हैं। थक-हारकर ये सभी प्रवासी राज्य सरकार से घर वापसी की गुहार लगा रही है परन्तु अब तक सरकार द्वारा इनकी गुहार सुनी गई हो ऐसा तो नहीं लगता। आज एक बार फिर मुम्बई (mumbai) में फंसे 22 प्रवासी उत्तराखण्डियों के एक ग्रुप ने राज्य सरकार से घर वापसी की गुहार लगाई है। इनका कहना है कि होटल बंद होने से इन्हें होटल मालिकों द्वारा वेतन भी नहीं दिया जा रहा है। अभी तक का खर्चा तो जैसे-तैसे बचत के पैसों से चल रहा था परन्तु अब उनके पास खाना खाने के लिए भी पैसे नहीं बचे हैं। अगर राज्य सरकार ने घर पहुंचाने की कोई उचित व्यवस्था नहीं की तो वे कोरोना से तो जैसे-तैसे बच सकते हैं परन्तु भूख और कमरे में पडे़-पडे़ अवश्य मानसिक तनाव से ग्रस्त हो जाएगे।
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अब युवाओं के पास खाने के भी पैसे नहीं:-
प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के बागेश्वर जिले के कपकोट विधानसभा क्षेत्र के मुम्बई(mumbai) में रहने वाले 22 युवाओं के एक ग्रुप ने राज्य सरकार और क्षेत्रीय विधायक बलवंत भौर्याल से घर वापस पहुंचाने की गुहार लगाई है। बताया गया है कि ये सभी युवा कपकोट विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न गांवों जैसे- बनीगांव, वनीला, कमस्यार और सनिउडियार के रहने वाले हैं, जो मुम्बई में स्थित विभिन्न होटलों में काम करके अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। कोरोना वायरस के कारण हुए लाॅकडाउन में होटलों के बंद होने के कारण इन सभी युवाओं की नौकरी चली गई और होटल मालिकों ने इन्हें बिना वेतन दिए होटलों से निकाल दिया। अब तक तो जैसे-तैसे बचत के पैसों से खाने-पीने का खर्चा चल रहा था परन्तु अब तो खाना खाने के लिए भी पैसे नहीं हैं। इतना ही नहीं इन लोगों ने कमरे का किराया भी नहीं दिया है। इन कठिन परिस्थितियों से परेशान हो चुके इन युवाओं ने उत्तराखण्ड सरकार से किसी भी तरह घर पहुंचाने की गुहार लगाई है।
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