Uttarakhand Bhukamp Update : उत्तराखंड में मंडरा रहा बड़े भूकंप का संकट, प्रदेश के 250 किलोमीटर भूभाग पर एकत्रित हो रही भूकंपीय ऊर्जा...
Uttarakhand Bhukamp Update: उत्तराखंड को भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील राज्य माना जाता है जहां पर अभी तक कई सारे बड़े भूकंप आ चुके हैं जिससे लोगों को भारी नुकसान पहुंचा है। अक्सर उत्तराखंड के कई सारे जिलों में हफ्ते या महीने भर में छोटे-मोटे भूकंप के झटके आते रहते हैं जो लोगों के मन में पहले से भय उत्पन्न किए हुए है। इसी बीच उत्तराखंड में 250 किलोमीटर का भूभाग ऐसा है जहां पर धरती सिकुड़ने की स्थिति में है जिसके चलते भूगर्भ में भूकंपीय ऊर्जा तेजी से एकत्र हो रही है जिससे बड़े भूकंप की स्थिति प्रदेश में बन रही है जिसकी तीव्रता 7 से 8 रिक्टर स्केल पर दर्ज की जा सकती है।
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अभी तक मिली जानकारी के अनुसार वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान में अंडरस्टैंडिंग हिमालयन अर्थक्वेक्स विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया था जिसमें वैज्ञानिकों ने कहा कि हिमालय अपनी उत्पत्ति के समय से उत्तर से दक्षिण की ओर खिसक रहा है जिसकी गति सालाना 40 मिलीमीटर है हालांकि कुमाऊं के चम्पावत जिले के टनकपुर से राजधानी देहरादून के बीच यह गति सालाना औसतन 18MM है लेकिन कुछ जगह पर इसकी गति महज 14 MM पाई गई है जिसके कारण एक तरह से इस पूरे क्षेत्र की धरती सिकुड़ने की स्थिति में है जबकि विभिन्न स्थलों पर लगाए गए ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम के माध्यम से इस बात का पता लगाया गया।
भूगर्भ में संचित हो रही भूकंपीय ऊर्जा ( seismic energy stored underground)
वहीं दूसरी ओर वाडिया संस्थान के वरिष्ठ विज्ञानी डॉक्टर आरजे पेरूमल का कहना है कि मुनस्यारी से देहरादून के मोहंड के बीच 80 किलोमीटर का भूभाग ऐसा है जहां पर भूमि सालाना ऑस्टिन 20 एमएम की दर से खिसक रही है जिससे पूरे क्षेत्र में चार बड़े फॉल्ट क्षेत्र 10 से 15 किलोमीटर गहराई में 70 से 80 डिग्री तक की ढालदार स्थिति में है। इससे पूरा भू भाग लाकिंग जोन की स्थिति में आ गया है जिससे भूगर्भ में ऊर्जा संचित हो रही है लेकिन बाहर नहीं निकल रही है। हालांकि फाल्ट के कुछ भाग ऐसे भी हैं जहां ढाल 40 से 45 डिग्री के हैं वहां गति सामान्य रूप से 40MM है जिससे यह आकलन किया जा सकता है कि फॉल्ट अधिक ढाल ही गति को धीमा कर रहा है।
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नेपाल मे आ चुका है बड़ा भूकम्प उत्तराखंड भी खतरे की जद मे (A big earthquake has already struck Nepal; Uttarakhand is also in danger)
बताते चले कुमाऊं मंडल में रामनगर क्षेत्र में वर्ष 1334 और 1505 में सात से आठ रिक्टर स्केल के भूकंप आ चुके हैं। जबकि गढ़वाल में वर्ष 1803 में करीब 7.8 रिक्टर स्केल के भूकंप का रिकार्ड दर्ज है तब से लेकर अब तक कोई विशाल भूकंप दर्ज नहीं किया गया है, जबकि भूगर्भ में तनाव की स्थिति निरंतर बनी है। जानकारी के मुताबिक धरती के सिकुड़ने और बड़े भूकंप की आशंका का सबसे बड़ा उदाहरण नेपाल से सामने आ चुका है जहाँ पर हिमालय के भूभाग की गति 21 एमएम पाई थी। नेपाल में वर्ष 1934 को 8 रिक्टर स्केल के बेहद शक्तिशाली भूकंप के बाद वर्ष 2015 में 7.8 रिक्टर के विशाल भूकंप की पुनरावृत्ति हुई।
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