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Uttarakhand bichhu GHAS sishun kandali vegitable and used as medicine

उत्तराखण्ड विशेष तथ्य

देवभूमि दर्शन

बिच्छू घास, सिसूंण(कंडाली) है औषधीय गुणों से भरपूर, इन गंभीर बीमारियों का रामबाण इलाज

Kandali / Sishun: बिच्छू घास ना की (Bichhu Ghas)  सामान्य घास है बल्कि औषधीय गुणों से  है भरपूर, साथ ही बन रहा है स्वरोजगार का भी एक बेहतरीन माध्यम 

उत्‍तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में पायी जाने वाली एक ऐसी घास जिसको छूने से झनझनाहट के साथ ही हर किसी के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। जी हां आप सही समझ रहे हैं। हम बात कर रहें हैं बिच्‍छू घास(Bichhu Ghas)  की। अगर आप सोच रहे हैं कि बिच्छू घास एक सामान्य और व्यर्थ समझे जाने वाली घास है, तो आपको बता दें कि यह घास कोई सामान्य घास नहीं है बल्कि औषधीय गुणों से भरपूर है। कुमाऊँ-मंडल मैं इसे सिंसोण(Sishun)  तथा गढ़वाल मे कंडाली घास(Kandali)  के नाम से जाना जाता है।
बिच्छू घास का औषधीय उपयोग:
बिच्छू घास का उपयोग पित्त ,मोच, जकड़न और मलेरिया के इलाज में होने के साथ- साथ इसके बीजों को पेट साफ करने वाली दवा के रूप मे उपयोग किया जाता है। माना जाता है कि बिच्छू घास में आयरन अधिक मात्रा में पाया जाता है। जिसकी वजह से देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में तक इसकी दवाइयां बनती हैं। वहीं काफी गर्म होने की वजह से पर्वतीय क्षेत्रों में इसकी सब्जी भी बनती है जो कि बेहद स्वादिष्ट एवं लाजवाब होती है।
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स्वरोजगार की तरह भी उपयोग में लाया जा रहा है बिच्छू घास
बिच्छू घास से आय के साधन भी उत्पन्न किए जा रहे हैं। जैसे कि चप्‍पल, कंबल, जैकेट आदि बनाए जाते हैं। इसके साथ ही बिच्छू घास से हर्बल चाय बना के भी कुछ युवा इसको अपना स्वरोजगार बना रहे हैं। इसमें विटामिन ए, सी आयरन, पोटैशियम, मैग्निज और कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसको प्राकृतिक मल्‍टी विटामिन के नाम से भी जाना जाता है। इसके कांटों मे मौजूद हिस्टामीन की वजह से हाथ में लगने के बाद जलन होती है। बता दे कि उत्तराखंड में तैयार की जाने वाली बिच्छू घास की स्लीपर भी काफी पसंद की जा रही है। स्लीपर के साथ-साथ बिच्छू घास से जैकेट, शॉल, स्टॉल, स्कॉर्फ  व बैग आदि भी तैयार किए जाते हैं । चमोली व उत्तरकाशी जिले में कई समूह बिच्छू घास के तने से रेशे निकाल कर विभिन्न प्रकार के उत्पाद तैयार कर रहे हैं। बिच्छू घास की चाय को यूरोपीय देशो मे विटामिन का स्रोत मानते हैं। जो रोग से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है। इस चाय की कीमत प्रति सौ ग्राम 150 रुपये से लेकर 290 रुपये तक है। बिच्छू घास से बनी चाय को भारत सरकार के एनपीओपी (जैविक उत्पादन का राष्ट्रीय उत्पादन) द्वारा प्रमाणित किया गया है।

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