कैबिनेट बैठक में लगी योजना के प्रस्ताव पर मुहर, प्रवासियों को स्वरोजगार (self employment) करने को करेगी प्रेरित..
अगर एक सामाजिक नजरिए से पहाड़ के वर्षों से बंद पड़े गांवों के तरफ देखा जाए तो यह कहना ग़लत नहीं होगा कि पलायन का दंश झेल रहे उत्तराखण्ड के पहाड़ी जिलों के लिए लाॅकडाउन एक वरदान साबित हुआ है। लाॅकडाउन के कारण उत्तराखण्ड के अधिकांश गांव फिर से गुलजार हो गए है और विरान पड़े पहाड़ों में फिर से रौनक लौट आई है। पिछले 20 वर्षों में जो काम उत्तराखण्ड की सरकारें नहीं कर पाई वो लाॅकडाउन ने कर दिखाया है। अब यह तो सरकार पर है कि वह इस रिवर्स पलायन को स्थाई बना पाती है या नहीं। वर्तमान उत्तराखण्ड सरकार भी इस बात को जानती है, तभी तो सरकार ने जहां पहले सभी जिलाधिकारियों को रिवर्स पलायन करने वाले इन सभी प्रवासियों के रोजगार की व्यवस्था करने के लिए कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए थे वहीं अब सरकार ने इन सभी उत्तराखण्डी प्रवासियों के लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना(self employment) को भी मंजूरी दे दी है। इस योजना के तहत अपने घर वापस लौटे प्रवासी अपने अनुभव के आधार पर मेन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के साथ ही खुद का छोटा व्यवसाय भी शुरू कर सकते हैं।
स्वरोजगार (self employment) के इच्छुक प्रवासियों को आसानी से मिलेगा ऋण सरकार भी देगी सब्सिडी:-
बता दें कि अपने गांव वापस लौटे प्रवासी उत्तराखण्डियों के लिए सरकार ने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना को मंजूरी दे दी है। बीते गुरुवार शाम को राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में सरकार ने अपनी इस योजना पर मुहर लगाई। बैठक खत्म होने के बाद कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि सरकार की यह योजना घर वापस लौटे प्रवासियों को न सिर्फ स्वरोजगार (self employment) के लिए प्रेरित करेगी बल्कि पहाड़ों में ही उनकी आर्थिक स्थिति को भी मजबूत करेगी। कुल मिलाकर सरकार की इस योजना में रिवर्स पलायन को स्थायित्व प्रदान करने के लिए उत्तराखंड लौटे प्रवासियों को पहाड़ों में रोकने पर फोकस किया गया है। इसके लिए स्वरोजगार के इच्छुक प्रवासियों को ऋण के लिए बैंक में आवेदन करना होगा, जिस पर सरकार की तरफ से सब्सिडी भी दी जाएगी।
1) इस योजना के लिए फिलहाल 15 करोड़ का बजट स्वीकृत, जिससे गांव में ही स्वरोजगार करने के इच्छुक प्रवासियों को तत्काल लाभ मिलेगा।
2) इस योजना के तहत स्वरोजगार के रूप में सभी प्रकार के उद्योग/कारखाने लगाने की अनुमति।
3) इस योजना में प्रवासियों को दुकान खोलने से लेकर मुर्गीपालन, पशुपालन, डेयरी आदि उद्योग लगाने की खुली छूट।
4) योजना के माध्यम से 25 लाख तक की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित की जा सकती है।
5) 10 लाख तक सर्विस सेक्टर के उद्योगो में भी मिलेगा योजना का सीधा लाभ।
6) प्रवासियों को उद्योग लगाने या स्वरोजगार करने के लिए किसी भी शैक्षिक प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं।
7) प्रवासियों के अनुभव के आधार पर बैंकों से मिलेगा ऋण जिस पर सरकार देगी सब्सिडी।
8) पहाड़ों के लिए 25 प्रतिशत और मैदानी क्षेत्र में कारोबार करने पर 15 प्रतिशत तक मिलेगी सब्सिडी।
9) इसके साथ ही 25 लाख से बड़े प्रोजेक्टों को एमएसएमई नीति के तहत मिलेगी 40 प्रतिशत तक की सब्सिडी।