उत्तराखण्ड की बेटियाँ आज भारतीय सेना से लेकर उच्च सरकारी गैर- सरकारी संस्थानों में उच्च पदों पर कार्यरत है। ऐसी ही एक बेटी है, दीप्ति भट्ट जो की मूल रूप से चम्पावत जिले के लोहाघाट से हैं , जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से फौज में लेफ्टिनेंट बनकर माता पिता के साथ ही प्रदेश को भी गौरवान्वित किया। ढाई वर्ष की आयु में ही पिता का साया सर से उठ गया , लेकिन दीप्ती ने इन दुखो से हमेशा उभरकर सिर्फ अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित किया। दीप्ति की मां हेमंती भट्ट के प्यार व दुलार मिलने के साथ उन्हें जीवन में संघर्ष करने की भी सीख मिलती रही। उनकी माँ हेमंती भट्ट ने उन्हें और उनके भाई दीपक को कभी भी पिता की कमी का एहसास नहीं होने दिया। हर कदम कदम पर उन्हें प्रोत्साहित कर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की सिख दी। सेना की ईएमई कोर में कार्यरत लेफ्टिनेंट दीप्ति भट्ट कहती हैं कि दृढ़ इच्छाशक्ति, मजबूत इरादे एवं अनुशासन व्यक्ति में उड़ान भरने के लिए पंख लगा देते हैं।
लेफ्टिनेंट दीप्ति भट्ट ने दिया पहाड़ की बेटियों की सन्देश : पति के देहांत के बाद हेमंती भट्ट को कई सालों तक संघर्ष झेलना पड़ा और इसी संघर्ष का सकारात्मक परिणाम था की उन्हें शिक्षिका के रूप में सेवा करने का अवसर मिला। बता दे की वर्तमान में वह जीजीआईसी लोहाघाट की एनसीसी यूनिट अधिकारी हैं। दीप्ति बताती हैं कि वह शुरू से ही एक सैन्य अफसर बनने का सपना संजोए हुए थी। बीटेक करने के बाद सर्विस सलेक्शन बोर्ड में पहले ही प्रयास में इनका चयन हो गया। लेफ्टिनेंट बनकर आईं दीप्ति का कहना है कि पहाड़ की अन्य बहनों को सेना का अंग बनना चाहिए। सेना की ईएमई कोर में कार्यरत लेफ्टिनेंट दीप्ति भट्ट सभी के लिए एक सन्देश देते हुए कहती है की “छात्र-छात्राओं को जीवन का लक्ष्य निर्धारित करते हुए उसी राह में चलना चाहिए। जीवन मार्ग कंटीला एवं पथरीला हो सकता है। यदि आगे बढ़ने का जुनून है तो वह मार्ग भी सुगम हो जाता है।”