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Uttarakhand: How the beautiful village Swala of champawat became a ghostly haunted village, behind it is a painful story. Champawat haunted swala village

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उत्तराखंड का ये गांव बन गया भूतिया गांव भय के साये के सिवा अब कुछ नहीं बचा

Champawat haunted swala village: पीएसी जवानों की बस गिरने के बाद से गांव में होने लगी अजीबोगरीब घटनाएं, डर के साए में जी रहे ग्रामीणों ने छोड़ दिया था पूरा गांव, इस तरह प्राकृतिक रूप से खूबसूरत स्वाला गांव आज बन गया उत्तराखंड का भूतिया गांव….

अगर आज हम आपको कहे की 21 वीं सदी के इस आधुनिक युग में भी भूत-पिशाच जैसी चीजें और घटनाएं होते हैं तो क्या आप यकीन कर पाओगे। मगर उत्तराखंड राज्य में एक ऐसा गांव है जो भूतिया गांव के नाम से जाना जाता है। जहां के लोगों ने इस गांव को सिर्फ इसलिए छोड़ा क्योंकि उस गांव में लोगों को भूत दिखने लग गए थे। वह भूत गांव बन गया था। वहां अजीबोगरीब हलचल होने लगी थी जिस कारण मजबूरन वहां के लोगों को उस जगह से पलायन करना पड़ा। आज भी लोग इस गांव में डर के साए में जीते हैं और इस गांव के नाम सुनने से घबराते हैं। जहां लोग दिन में खेतों में काम करने तो जाते हैं, मगर शाम होते ही अपने घरों को लौट आते हैं। जहां रात में रुकने से लोगों की धड़कनें बढ़ जाती हैं। तो आज आपको उत्तराखंड में स्थित इस भूतिया गांव के बारे में बताते हैं जहां के लोग आज भी डर के साए में जीते हैं और उस गांव से पूरी तरीके से पलायन कर चुके हैं।
(Champawat haunted swala village)
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उत्तराखंड की पहचान यहां के छोटे-छोटे गांव होते हैं इसकी सुंदरता पर चार चांद यहां के पहाड़ों पर बसे छोटे-छोटे गांव लगाते हैं। गांव की रौनक और हरे-भरे पहाड़ों के बीच बसे छोटे छोटे गांव और इनकी रोनक यहां के लोगों के मन में गर्व का अहसास करवाता है। जहां उत्तराखंड के गांव में लोगों की भरमार और चहल–पहल है तो कुछ गांव आज बिल्कुल वीरान एवं खाली हो चुके हैं। यहां से लोग अन्य जगहों की और पलायन कर चुके हैं। ऐसा ही एक गांव उत्तराखंड के चंपावत जिले में स्थित हैं जिसे कि भूत गांव के नाम से जाना जाता है। इस गांव में कोई भी परिवार निवास नहीं करता है और कई साल पहले यह गांव लोगों द्वारा पूरी तरह से खाली कर दिया गया है। टनकपुर से चंपावत जाने वाले रास्ते पर पड़ने वाला स्वाला गांव वाकई बहुत खुबसुरत गांव है जो दूर से हरा भरा एवं स्वर्ग से भी सुंदर लगता है। जिसकी सुंदरता की तारीफ हर आने जाने वाले राहगीर करते हैं। मगर जितना सुंदर यह गांव लगता है उतना ही वीरान और सुनसान इसकी गालियां। आज इस गांव से लगभग सभी परिवार अन्य जगहों पर पलायन कर चुके है और आज पूरा का पूरा गांव खाली हो गया है और बंजर पड़ गया है।
(Champawat haunted swala village)
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1952 में हुई एक घटना ने बदल दी गांव की तस्वीर, अजीबोगरीब घटनाएं होने से लोगों ने छोड़ दिया पूरा गांव:-

इस गांव के इतिहास और खाली होने का कारणों के बारे में बताया जाए तो कुछ स्थानीय लोगों के अनुसार आज से करीब कुछ साल पहले इस गांव में करीब 20 से 25 परिवार रहते थे। तब स्वाला गांव में खूब चहल पहल थी आज सुनसान दिखने वाले इस गांव में उस समय ग्रामीण अपने परिवार और मवेशियों के साथ रहते थे। उस समय यहां जमकर खेती बाड़ी हुआ करती थी। मगर 1952 में हुई एक घटना ने इस गांव की पूरी तस्वीर बदल के रख दी। दरअसल जिस जगह पर स्वाला गांव स्थित है उसके ठीक पीछे की पहाड़ी के ऊपर से टनकपुर तवाघाट राष्ट्रीय राजमार्ग की सड़क गुजरती है जहां 1952 में 10 से 12 पीएससी जवानों से भरी बस गिरी थी। इन जवानों ने जब स्वाला गांव के लोगों से मदद मांगी तो लोगों ने उनकी मदद के बजाय उन जवानों से उनका सारा सामान लूट दिया और उन्हें ऐसे ही मरते हुए छोड़ दिया था। जवानों की मदद ना होने से और उन्हें सही समय पर इलाज ना मिलने से उनकी दर्दनाक मौत हो गई। कहते हैं कि जवानों की मौत के बाद से स्वाला गांव में अजीबोगरीब घटनाएं घटित होने लगी। कुछ लोगों को रात में सफेद भूत जैसे दिखने लगे, तो कुछ को अजीबोगरीब बीमारियां लगने लगी। किसी के मवेशी मरने लगी तो कुछ दिन के साए में भी डरने लगे।
(Champawat haunted swala village)
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और इस प्रकार स्वाला बन गया उत्तराखंड का पहला भूतिया गांव:-

इस प्रकार दिनों दिन होने वाले अजीब गरीब घटनाओं से परेशान स्वाला गांव के लोगों ने इस जगह से पलायन करना ही उचित समझा। धीरे-धीरे वक्त के साथ जो कोई घर इस गांव में बचे थे उन्होंने इसका ज्योतिषीय उपाय करने की बात सोची। जिसके बाद जहां से पीएसी जवानों से भरी बस गिरी थी उस जगह पर स्वाला गांव के लोगों को अनहोनी से बचाने के लिए और इन जवानों की आत्मा की शांति के लिए भगवती दुर्गा मंदिर की स्थापना की बात कही गई थी और इस जगह पर भी कोई अनहोनी भविष्य में ना हो जिसके लिए ऊपर स्थित रोड पर माता दुर्गा का मंदिर की स्थापना भी की गई। जिसके बाद से इस जगह पर कोई ऐसी घटनाएं नहीं होती थी। लेकिन स्वाला गांव में भूत प्रेत की घटनाएं फिर भी जारी रही जिसके बाद लोगों ने पूरी तरीके से इस गांव को खाली करना जरूरी समझा और इस जगह से हमेशा के लिए पलायन कर अन्य इलाकों में जाकर बसने लगे। उसके बाद से यह गांव भूत गांव बन गया और आसपास के इलाकों में इस गांव में भूत होने की बात फैलने लगी। जिस कारण यह गांव भूतिया गांव कहलाया जाने लगा और आज इसे उत्तराखंड का भूत गांव कहा जाता है।
(Champawat haunted swala village)
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तो यह कहानी थी उत्तराखंड के चंपावत जिले में स्थित स्वाला गांव की भूत गांव बनने तक की। मगर आज उस समय के स्वाला गांव से पलायन कर चुके बुजुर्गों के नाती–पोते स्वाला गांव में भूत–पिशाच के चलते गांव छोड़ने की बात से साफ इनकार करते हैं। वह बताते हैं कि उस समय गांव छोड़ने का कारण भूत–पिशाच नहीं बल्कि सुविधाओं का ना होना था। वह भूत पिशाच की बातों से इंकार कर गांव में कुछ भी सुविधाएं जैसे रोड, सड़क , बिजली इत्यादि ना होने के कारण उस समय यहां के लोगों ने इस जगह को खाली कर यहां से पलायन कर अन्य स्थानों पर जा बसना ही जरूरी समझा था और इसी के चलते लोगों ने अफवाह फैला कर इसे भूत गांव का दर्जा दे दिया।
(Champawat haunted swala village)

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