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Kathgodam history in hindi: काठगोदाम का इतिहास है बेहद गौरवशाली

Kathgodam history in hindi: कुमाऊं के द्वार के नाम से पहचाना जाता है काठगोदाम, पहले जाना जाता था बढ़ा खेड़ी, बमोर घाटी एवं चौहान पाटा नाम से….

गोला नदी के तट पर बसा काठगोदाम नैनीताल जिले का एक ऐसा शहर एवं कस्बा है, जो कुमाऊं के प्रवेश द्वार के रूप में विख्यात है। यह बेहद ही खूबसूरत एवं घनी वादियों के बीच स्थित है जो कि कुमाऊं क्षेत्र के अंतिम रेलवे स्टेशन के रूप में जाना जाता है। खूबसूरत पहाड़ियों एवं प्रमुख पर्यटक स्थल के रूप में प्रसिद्ध काठगोदाम एक खूबसूरत पहाड़ी रेलवे स्टेशन है। काठगोदाम वर्तमान में उत्तराखंड के हिमालयी हार में एक कीमती रत्नों में शुमार है जो कुमाऊं के प्रवेश द्वार के साथ-साथ कुमाऊं के पहाड़ी इलाकों को जाने वाली सभी बसों का केंद्र एवं अंतिम रेलवे स्टेशन भी है। यह कुमाऊं का प्रवेश द्वार तथा अंतिम रेलवे स्टेशन के साथ-साथ खूबसूरत पर्यटक स्थल एवं वन्य उत्पादों के संग्रह केंद्रों के साथ ही व्यापार का मुख्य केंद्र है। वर्तमान में यह हल्द्वानी नगर निगम क्षेत्र का हिस्सा है। साथ ही यहां आयकर विभाग कार्यालय, राज्य का कार्यालय, सर्किट हाउस, एनएचपीसी का गेस्ट हाउस, सीआरपीएफ का एक महत्वपूर्ण केंद्र भी है।
(Kathgodam history in hindi)
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हर सुविधाओं और तमाम चीजों से परिपूर्ण काठगोदाम आज जैसा है। पहले ऐसा नहीं हुआ करता था आज से लगभग कई साल पहले काठगोदाम एक छोटा सा गांव हुआ करता था। जो व्यापार की दृष्टि एवं कुमाऊं क्षेत्र से महंगी लकड़ियों को इकट्ठा कर पूरे भारत में ले जाने के लिए एवं पहाड़ों की ओर जाने वाले रूहेलों और लुटेरों को रोकने का एक जगह हुआ करती थी। जहां से चोर लुटेरे पहाड़ों की तरफ नहीं बढ़ पाते थे उस समय कुमाऊं में चंद वंश का शासन काल हुआ करता था। तब इस जगह को बढ़ा खेड़ी के नाम से जाना जाता था जिसकी आबादी 1901 के करीब लगभग 375 के आसपास थी। काठगोदाम की स्थापना 1942 में हुई थी काठगोदाम का शाब्दिक अर्थ है “लकड़ी का डिपो या काट की लकड़ियों का गोदाम काठगोदाम” काठगोदाम पहले पहाड़ नदी एवं घने जंगलों से घिरा हुआ था। जिसमें खतरनाक जंगली जानवर विचरण करते थे। उस समय यह जगह बढ़ा खेड़ी, बमोर घाटी एवं चौहान पाटा नाम से जाना जाता था। बाद में यह नाम बदलकर काठगोदाम कर दिया गया यह नाम काठगोदाम इंडिया के टिंबर के नाम से जाने जाने वाले पिथौरागढ़ के मशहूर व्यापारी दान सिंह बिष्ट उर्फ डांसिंग मालदार के कारण रखा गया।
(Kathgodam history in hindi)
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दरअसल, दान सिंह बिष्ट एक जाने-माने व्यापारी थे जो पूरे भारत में प्रसिद्ध थे। उस समय पहाड़ों पर पाए जाने वाले इमारती लकड़ी का व्यापार किया जाता था। लकड़ियों को पहाड़ से शहर में लाने के लिए एक जगह चाहिए होती थी। जिसके लिए दान सिंह बिष्ट ने पहाड़ से मैदान को जोड़ने वाले इस चौहान पाटा जगह पर लकड़ी के कई गोदाम बनाएं जिस कारण यह जगह काठगोदाम कहलाई बाद में जब पूरा भारत ब्रिटिश के अधीन था। तब पहाड़ों पर भी अंग्रेजों का अधिकार होने लगा पहाड़ों से व्यापार करने के लिए एवं मैदानों को जोड़ने के लिए ब्रिटिश सरकार के पास कोई साधन नहीं था। जिस कारण उसने काठ गोदाम को रेलवे स्टेशन बनाने की सोची क्योंकि उस समय पहाड़ों से आने वाली इमारती लकड़ी को गोला नदी में बहा कर काठगोदाम में लाकर रखा जाता था। तब पूरे भारत में इनका व्यापार किया जाता था इसलिए अंग्रेजों ने व्यापार के उद्देश्य से काठगोदाम में हल्द्वानी से रेल की पटरी बिछाना शुरू कर दिया।
(Kathgodam history in hindi)
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काठगोदाम रेलवे स्टेशन से जुड़े रोचक तथ्य(Kathgodam Railway station History)

काठगोदाम को इससे पहले से कोई जानता नहीं था। 24 अप्रैल 1884 को ब्रिटिश शासन ने इसका नाम चौहान पाटा से बदलकर काठगोदाम कर दिया और इसे कुमाऊं और रोहिलखंड रेलवे का टर्मिनल स्टेशन बना दिया गया। 24 अप्रैल 1884 को पहली बार काठगोदाम में ब्रिटिश के आधीन ट्रेन पहुंची थी। वर्तमान में इस स्टेशन से 10 ट्रेनों का संचालन होता है जिनमें से सात प्रतिदिन और 3 साप्ताहिक ट्रेनें हैं हर वर्ष करीब 7 लाख से अधिक यात्री यहां से यात्रा करते हैं यह पहाड़ों से मैदान को जोड़ने वाली भारत की सबसे खूबसूरत और प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण रेलवे स्टेशन है। शुरुआती दौर में काठगोदाम से सिर्फ मालगाड़ी ही चला करती थी परंतु बाद में सवारी गाड़ी भी चलने लगी आज काठगोदाम कुमाऊं को रेल मार्ग से देश के कई महत्वपूर्ण शहरों को जोड़ने का माध्यम है। ब्रिटिश शासकों द्वारा कुमाऊं पर कब्जा करने के बाद काठगोदाम दिखने से और कार्य प्रगति में और महत्वपूर्ण बन गया है। इस प्रकार धीरे-धीरे यह क्षेत्र तरक्की करने लगा और वर्तमान में कई आबादी वाला शहर के साथ-साथ कुमाऊं को शहर से जोड़ने वाली कड़ी बन चुकी है। जहां से पूरे पहाड़ों के लिए बस और शहरों के लिए ट्रेनें आती जाती हैं। आज यह किसी महानगर से कम नहीं है वर्तमान में इस जगह से 10 ट्रेनों का संचालन प्रतिदिन होता है जिनमें से सात रोजाना और 3 साप्ताहिक होते हैं और इसी के साथ काठगोदाम अपनी प्राकृतिक खूबसूरती से देश की सबसे खूबसूरत रेलवे स्टेशन का दर्जा भी हासिल कर चुका है।
(Kathgodam history in hindi)

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