Neem Karoli Baba Death Reason: कैसे हुई नीम करोली बाबा की मृत्यु ?
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Neem Karoli Baba Death Reason: अलौकिक चमत्कारिक शक्तियों के सलामी थे बाबा नीम करौली, माना जाता है बजरंगबली का अनन्य भक्त, आज भी बाबा के चमत्कारों को महसूस करते हैं भक्तजन….
Neem Karoli Baba Death Reason
देवभूमि को देवी देवताओ के साथ- साथ महान संतो की भूमि भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ पर बहुत सारे ऐसे सन्त हुए है जिनको उनकी अलौकिक चमत्कारी शक्तियों के कारण पूरे विश्वभर में जाना जाता है। उन्हीं महान संतो मे से एक महान सन्त बाबा नीम करोली भी है जिन्हें हनुमान जी का परम भक्त माना जाता है और इनके बारे मे ऐसा कहा जाता है कि यह अपनी दिव्य शक्तियों से कई सारे अविश्वसनीय चमत्कार किया करते थे। आपको जानकारी देते चले नीम करोली बाबा का वास्तविक नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था और उनका जन्म उत्तरप्रदेश के अकबरपुर में वर्ष 1900 के आसपास हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि बचपन से ही उनमें भक्ति भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। जिसके चलते उन्होंने किशोर अवस्था में ही साधु वेश धारण कर लिया था इसके पश्चात उन्होंने अपनी तपस्या नीम करोली जगह पर शुरू की थी जिस वजह से उन्हें नीम करोली बाबा कहा जाने लगा। इतना ही नहीं नीम करोली बाबा का नाम 20वीं सदी के ऐसे महान संतों में गिना जाता है जिनके पास कई प्रकार की दिव्य शक्तियां थी।
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Neem Karoli Baba temple miracles
ऐसी मान्यता है कि नीम करोली बाबा हनुमान जी के बहुत बड़े भक्त थे इसलिए नीम करोली बाबा के भक्त तथा प्रशंसक उन्हें हनुमान जी का अवतार मानते हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि उन्होंने हनुमान जी के 108 मंदिर बनवाए थे।नीम करोली बाबा का मुख्य आश्रम नैनीताल के कैंची धाम में स्थित है। बाबा नीम करोली ने 1964 में इस आश्रम की स्थापना की थी। दरअसल हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता व्याप्त है कि जो भी नाम करोली बाबा के आश्रम में आता है उसकी मुराद अवश्य पूरी होती है।
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नीम करोली बाबा की कहानी व चमत्कार:-
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नीम करोली बाबा की वैसे तो बहुत सारी अलौकिक चमत्कारों की कहानियां आज भी विश्व भर में प्रसिद्ध है उन्हीं में से एक प्रसिद्ध कहानी यह है की एक बार बाबा के भंडार में घी की कमी पड़ गई थी जिसके पश्चात उन्होंने लोगों से नदी का पानी लाने को कहा और बाद में उन्होंने नदी के पानी को ही घी में परिवर्तित कर दिया था। वहीं दूसरी कहानी यह भी है कि एक बार उनका एक भक्त गर्मी से काफी परेशान था भक्ति की परेशानी से बाबा नीम करोली विचलित हो उठे और उन्होंने बादल को बुला लिया।
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एक बार नीम करोली बाबा बिना टिकट के फर्स्ट क्लास ट्रेन में सफर कर रहे थे तभी बाबा के पास टिकट ना होने पर टिकट चेकर ने उन्हें अगले स्टेशन पर उतार दिया। इसके पश्चात कुछ दूर जाकर बाबा नीम करोली जमीन में बैठ गए। तभी जैसे ही अधिकारी ने ट्रेन आगे बढ़ाने का इशारा किया तो ट्रेन 1 इंच भी आगे नहीं बढ़ पाई लंबे समय तक सब निरीक्षण करने के पश्चात जब इस समस्या का कोई हल नहीं निकला तो उस क्षेत्र के मजिस्ट्रेट को इस घटना का ज्ञान हुआ और उसने अधिकारी को बाबा नीम करोली से क्षमा मांगने और सम्मान पूर्वक ट्रेन में बिठाने का आदेश दिया। बता दें जैसे ही बाबा ट्रेन में बैठे तो उनकी ट्रेन चल पड़ी।
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नीम करोली बाबा की मृत्यु:-
Neem karoli baba biography
आपको जानकारी देते चले 11 सितंबर 1973 की रात्रि को नीम करोली बाबा अपने वृंदावन स्थित आश्रम में थे। तभी अचानक उनकी तबीयत बिगड़ने लगी और उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया डॉक्टरों ने उन्हें ऑक्सीजन मास्क लगाया लेकिन बाबा ने इसे लगाने से इनकार कर दिया और अपने भक्तों को बोला कि अब मेरे जाने का समय आ गया है इतना कहते ही उन्होंने अपने भक्तों से तुलसी और गंगाजल मंगवाई। इसके पश्चात बाबा ने तुलसी और गंगाजल ग्रहण कर रात करीब 1:15 पर अनंत चतुर्दशी के दिन वृंदावन की पावन भूमि में नीम अपने प्राण त्याग दिए थे।
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