पंचायत चुनाव जीतने के बाद तीसरी संतान या फिर जुड़वाँ बच्चो वालो के लिए भी आ गया प्रावधान
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव व्यवस्था में अभी तक संतान संबंधी कोई शर्त लागू नहीं थी। लेकिन त्रिस्तरीय पंचायतों के मुखिया की कुर्सी का ख्वाब संजो रहे उन लोगों को सरकार ने एक बड़ा झटका दे दिया है, जी हां जिनकी दो से अधिक संतान हैं अब वे लोग पंचायत चुनाव नहीं लड़ पाएंगे, जिनके दो बच्चे हैं सिर्फ वही पंचायत चुनाव लड़ पाएंगे। सबसे खाश बात तो ये है की पंचायती राज संशोधन विधेयक से उस छूट को हटा दिया है, जिसमें कहा गया था कि यदि किसी की दो से अधिक संतान हैं और इनमें से एक का जन्म दो बच्चों के प्रावधान के लागू होने के 300 दिन के बाद हुआ हो, वह चुनाव लड़ सकेगा। बता दे की पंचायत चुनाव में अभी तक संतान संबंधी कोई शर्त लागू नहीं थी। विधेयक में ये भी स्पष्ट नहीं किया गया था कि चुनाव जीतने के दो या तीसरे साल बाद किसी पंचायत प्रतिनिधि की तीसरी संतान हुई तो क्या वह अयोग्य हो जाएगा। सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि चुनाव जीतने के बाद यदि किसी प्रतिनिधि की तीसरी संतान होती है तो उसकी सदस्यता समाप्त हो जाएगी।
एक बच्चे के बाद जुड़वा बच्चे होने पर क्या होगा: जहाँ दो से अधिक संतान वालो के लिए नया नियम आ गया है वही प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में उन लोगों पर दो बच्चों का प्रावधान लागू नहीं होगा, जिनके एक बच्चे के बाद जुड़वा बच्चे होंगे। हालांकि, ऐसे मामलों में बच्चों की संख्या तीन हो जाएगी, लेकिन अधिनियम में इसे दो की श्रेणी में रखा जाएगा। हालांकि, इसमें पहले बच्चे के बाद दूसरे बच्चे के जुड़वा होने के मामले में इस प्रावधान से छूट दी गई है। इसके साथ ही शैक्षिक योग्यता के प्रावधान में किए गए संशोधन के मुताबिक अब पंचायत प्रमुखों व सदस्यों के लिए सामान्य श्रेणी के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता हाईस्कूल या समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण होगी। सामान्य श्रेणी की महिला, अनुसूचित जाति, जनजाति के उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता आठवीं पास रखी गई है। ओबीसी को शैक्षिक योग्यता के मामले में सामान्य श्रेणी के अंतर्गत रखा जाएगा।
