उत्तराखण्ड: कड़ी मेहनत से ..न्यायिक सेवा परीक्षा उत्तीर्ण कर, पहाड़ की बेटी इंदिरा बनी न्यायाधीश
जरूरी नहीं रौशनी चिरागों से ही हो…..
बेटियाँ भी घर में उजाला करती हैं…
ऐसी ही एक चिराग बनकर उभरी है उत्तराखण्ड के बागेश्वर जिले की इंदिरा दानू जिन्होंने अब न्यायाधीश बनकर पूरे जिले का नाम रोशन किया है। जी हाँ हम बात कर रहे हैं बागेश्वर जिले के कपकोट तहसील की रहने वाली इंदिरा दानू की, जिन्होंने उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा परीक्षा उत्तीण कर ली है। सबसे खास बात तो यह है कि निर्भया प्रकोष्ठ में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में कार्यरत इंदिरा दानू उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करने वाली जिले में पहली महिला हैं। इससे पहले अधिवक्ता रहते हुए भी उन्होंने ऐसे कई कार्य किए हैं जो अपने आप में एक बहुत बड़ी मिसाल है। इससे पहले उन्होंने अपने परिवार के विरोध के बावजूद एक रेप पीड़ित बच्ची का केस लड़कर उसे इंसाफ दिलवाया था। जिसके बाद इंदिरा काफी चर्चाओं में रही थी और लोगों ने उनके इस कार्य को काफी सराहा भी था। अब उनकी इस अभूतपूर्व सफलता से क्षेत्रवासियों में खुशी की लहर हैं। इंदिरा के पिता किशन सिंह दानू जहां अपने कुंवारी गांव के ग्रामप्रधान है तो वहीं उनकी माता शांति दानू जो पूर्व में जिला पंचायत सदस्य रह चुकी हैं।
एलएलबी व एलएलएम की परीक्षा गोल्ड मेडल के साथ उत्तीर्ण की: बता दें कि मूल रूप से राज्य के बागेश्वर जिले के कपकोट तहसील के दूरस्थ गांव कुंवारी की रहने वाली इंदिरा दानू ने उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा परीक्षा उत्तीण कर ली है। यह उपलब्धि हासिल करने वाली वह बागेश्वर जिले की पहली महिला भी है। परिवार में सबसे छोटी इंदिरा ने अपनी प्रारंभिक एवं माध्यमिक शिक्षा कपकोट तहसील से ही प्राप्त की है। इंटर कालेज कपकोट से इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद इंदिरा ने पीजी कॉलेज बागेश्वर से बीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसी दौरान वर्ष 2005 में उन्हें बागेश्वर महाविद्यालय में छात्र संघ उपाध्यक्ष भी चुना गया। इंदिरा ने बागेश्वर महाविद्यालय में छात्र संघ अध्यक्ष का भी चुनाव लड़ा। कालेज की पढ़ाई पूर्ण करने के बाद इंदिरा ने एसएसजे कैंपस अल्मोड़ा से एलएलबी व एलएलएम की परीक्षा गोल्ड मेडल के साथ उत्तीर्ण की। न्यायाधीश बनने के लिए कड़ी मेहनत करने वाली इंदिरा अभी विधि विषय में शोध कर रही हैं और उनकी कड़ी मेहनत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें प्रारम्भिक एवं माध्यमिक शिक्षा ग्रहण करने के लिए रोजाना लगभग 15 किमी पैदल सफर तय करना पड़ता था।
उत्तराखंड पीसीएसजे में दो बार तय किया साक्षात्कार का सफर अब यूपी में बनी जज: शनिवार को जारी यूपी पीसीएसजे परिणामों में उत्तर प्रदेश में न्यायाधीश बनने का गौरव हासिल करने वाली इंदिरा इससे पहले भी अपने राज्य उत्तराखंड की पीसीएसजे परीक्षा में भी दो बार साक्षात्कार तक का सफर तय कर चुकी हैं। शनिवार को जारी परिणामों में उन्होंने 147 वीं रैंक हासिल की है। बताते चलें कि इस परीक्षा में कुल पदों की संख्या 610 थी। वर्तमान में निर्भया प्रकोष्ठ में वरिष्ठ अधिवक्ता के पद पर कार्यरत इंदिरा इन दिनों विधि विषय में शोध कर रही हैं। उनकी इस अभूतपूर्व सफलता से पैतृक गांव कुंवारी व मल्ला दानपुर सहित पूरे बागेश्वर जिले में खुशी की लहर है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि इंदिरा ने जज बनकर बागेश्वर जिले का नाम रोशन किया है। इस अभूतपूर्व उपलब्धि को हासिल करने वाली बागेश्वर जिले की प्रथम महिला इंदिरा अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता सहित अपने ईष्ट देवता व गुरुजनों को देती है। उनकी इस सफलता की खबर से उनके घर पर हर्षोल्लास का माहौल है एवं घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।
