Uttarakhand neo metro project : उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन की सबसे महत्वपूर्ण योजना नियो मेट्रो की उम्मीदों पर फिरा पानी, अधर में लटका प्रोजेक्ट…
Uttarakhand neo metro project: उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन द्वारा शुरू की गई नियो मेट्रो योजना को बड़ा झटका लगा है क्योंकि इस योजना का कार्य अभी तक अधर में लटका हुआ है। दरअसल इस परियोजना पर किसी भी कंपनी ने दिलचस्पी नहीं दिखाई है जिसके कारण इसका कार्य शुरू होता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है। बताते चले राज्य में इस नए मॉडल के तहत ट्रांसपोर्ट के बेहतर साधन की उम्मीद थी लेकिन अब तक इसे लागू करने के लिए जरूरी कदमों को उठाने में काफी देरी हो रही है जिससे राज्य की ट्रैफिक समस्या के समाधान को झटका लगा है। इतना ही नहीं बल्कि यह योजना पहले से कई बार चर्चा का विषय बन चुकी थी जिसे लेकर प्रदेश वासियों को काफी सारी उम्मीदें थी लेकिन अब तक इसके क्रियान्वयन मे कई बाधाएं आ रही हैं।
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Uttarakhand neo metro project latest update: बता दें उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के कई प्रमुख शहरों में यातायात सुधारने के लिए प्रस्तावित परिवहन परियोजना गंभीर संकट में फस गई है जिसके चलते उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन की सबसे महत्वाकांक्षी योजना नियो मेट्रो को तगड़ा झटका लगा है। बताया जा रहा है कि इस परियोजना में किसी भी कंपनी ने दिलचस्पी नहीं दिखाई है जिसकी वजह से यही हाल योगनगरी ऋषिकेश से नीलकंठ रोपवे और हरिद्वार टैक्सी परियोजना का भी रहा है। दरअसल सरकार की ओर से इसके लिए कई बार टेंडर आमंत्रित किए गए लेकिन निजी कंपनियों ने इनमें भाग नहीं लिया और परियोजना में निवेश से बचती रही। बताते चले देहरादून के लिए नियो मेट्रो एक महत्वपूर्ण परियोजना मानी जा रही थी जिसकी शुरुआती लागत 1,852 करोड रुपये आंकी गई थी लेकिन समय के साथ यह बढ़कर 2,300 करोड़ रुपए पर पहुंच गई जिसकी अधिक लागत को देखते हुए केंद्र सरकार ने भी इस योजना में रुचि नहीं दिखाई। हालांकि परियोजना को जीवित रखने के लिए राज्य सरकार ने इसे पब्लिक इन्वेस्टमेंट बोर्ड के पास भेजा लेकिन वहां भी इसके वित्तीय व्यवहार्ता को लेकर संदेह हुआ। वहीं पूर्व मेट्रो प्रबंधक निदेशक का कहना है की नियो मेट्रो के शुरू होने के बाद प्रतिवर्ष 670 करोड रुपए की कमाई होगी जिसके आधार पर प्रतिदिन की आए 1.84 करोड रुपए आंकी गई।
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dehradun haridwar rishikesh neo metro project इतना ही नहीं बल्कि रोजाना 4.6 लाख यात्रियों का सफर करना आवश्यक बताया गया। मेट्रो परियोजना की शुरुआत से ही इसके प्रबंधन निदेशक रहे जितेंद्र त्यागी अब पद को छोड़ चुके हैं उनके अलावा अब तक इस परियोजना से जुड़े पांच अधिकारियों को हटाया जा चुका है और वर्तमान में निदेशक प्रोजेक्ट ब्रेजेश कुमार मिश्रा को अस्थाई रूप से जिम्मेदारी दी गई है लेकिन वह भी अप्रैल को रिटायर होने वाले हैं। आपको जानकारी देते चलें इस परियोजना के लिए वर्ष 2023 में मई माह के दौरान पहले टेंडर आमंत्रित किया गया था जब कोई कंपनी सामने नहीं आई तो टेंडर की समय सीमा बढाकर मई 2024 कर दी गई फिर भी किसी कंपनी ने इसमें रुचि नहीं दिखाई। इसके अलावा वन विभाग ने इस परियोजना को यह कहकर खारिज कर दिया कि यह प्रस्तावित क्षेत्र बफर जोन में आता है और वहां निर्माण कार्य करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
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इसी प्रकार से हरिद्वार प्रस्तावित पाड टैक्सी परियोजना को लेकर भी स्थिति अलग नहीं रही और अगस्त 2023 में इसके लिए टेंडर निकाले गए थे लेकिन किसी भी निजी कंपनी ने इसमें भी रुचि नहीं दिखाई इसके बाद उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने इस परियोजना पर फिलहाल के लिए कोई ठोस निर्णय नहीं लिया है। हालांकि हरिद्वार में हर की पैड़ी से चंडी देवी तक रोपवे परियोजना को लेकर जरूर तीन कंपनियों ने हामी भरी थी लेकिन सरकारी स्तर पर इसमें भी अडचने बनी हुई है। जिसके कारण नियो मेट्रो योजना का कार्य अटका हुआ है।
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