उत्तराखण्ड की बेटी ने एक बार फिर से भारत के साथ साथ अपने राज्य को गौरवान्वित पल प्रदान किया है। भारत और श्रीलंका के बीच खेले गए पहले वनडे मैच को भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने नौ विकेट से अपने नाम कर लिया। बता दे की चोट के कारण लंबे समय के बाद वनडे में वापसी कर रहीं उत्तराखण्ड की मानसी ने भारत की तरफ से सबसे अच्छा प्रदर्शन करते हुए 16 रन देकर तीन विकेट चटकाए और अपनी टीम की जीत में अहम भूमिका निभाई। वही भारत की ओर से स्मृति मंधाना ने ताबड़तोड़ अर्धशतक लगाते हुए 73 रन की पारी खेली। गॉल अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम में खेल गए इस मैच में जीत हासिल करते ही भारत ने तीन वनडे मैचों की सीरीज में 1-0 से बढ़त बना ली है।
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मात्र 98 रन पर सिमटी श्रीलंका की टीम
टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी श्रीलंका की टीम भारतीय गेंदबाजों के आगे ज्यादा देर तक नहीं टिक पाई। उसने सभी विकेट गंवाकर सिर्फ 98 रन बनाए। भारतीय टीम ने एक विकेट के नुकसान पर 100 रन बनाकर लक्ष्य हासिल कर लिया। श्रीलंका के लिए चामारी अट्टापट्टू (33) ने टीम के लिए सबसे अधिक रन बनाए। श्रीपल्ली वेराकोड्डी ने 26 रन बनाए।
मानसी जोशी का मूल निवास और संघर्ष – उत्तराखंड का सुदूरवर्ती जिला है उत्तरकाशी। यहां डुंडा ब्लॉक के गेंवला ब्रह्मखाल गांव में मानसी जोशी का जन्म हुआ। मानसी के पिता भूपेन्द्र जोशी होटल व्यवसाय से जुड़े हैं। मानसी की प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही सुमन ग्रामर स्कूल में हुई। मानसी का बचपन से ही क्रिकेट से ऐसा लगाव रहा कि मानसी गांव के खेतों में बच्चों के साथ क्रिकेट खेला करती थी। कक्षा पांच पास करने के बाद मानसी अपनी आगे की पढ़ाई के लिए मां के साथ रुड़की चली गई। यहां उन्होंने दिल्ली रोड पर सरस्वती विद्या मंदिर में प्रवेश लिया। इसके बाद मानसी को अच्छा प्लेटफार्म मिला। मानसी ने विद्यालय में होने वाली गोला फेंक, चक्का फेंक समेत खेलों में भी अपना जलवा दिखाया। उन्होंने विद्यालय की टीम से दिल्ली और मुम्बई में खेलते हुए कई मेडल हासिल किए।
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क्रिकेट में बढ़ती रुचि को देखते हुए उसे कॅरियर बनाने का फैसला लिया- क्रिकेट की ओर बढ़ती रुचि को देखते हुए मानसी ने क्रिकेट में अपना कॅरिअर बनाने का फैसला लिया। उन्होंने सेंट जोजफ में कार्यरत कोच पीयूष रौतेला से क्रिकेट का प्रशिक्षण लिया। रुचि को देखते हुए पीयूष रौतेला ने उसे क्रिकेट की हर बारीकियों से रूबरू करवाया। मानसी जिस मुकाम पर पहुंची है वह हमेशा इसका श्रेय अपने कोच रौतेला को देती है।