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उत्तराखण्ड

सैन्य सम्मान के साथ हुआ उत्तराखंड के जवान का अंतिम संस्कार, अंतिम विदाई में उमड़ा जन सैलाब

सेना की कठिन ट्रेनिंग पूरी कर देशसेवा के लिए अपनी पहली पोस्टिंग पर असम जा रहे शहीद राइफलमैन बालम सिंह डोभाल का पार्थिव शरीर गुरुवार को उनके पैतृक गांव पहुंचा। पार्थिव शरीर के गांव पहुंचते ही हर किसी के आंखों से आंसू छलक पड़े। समूचा गांव सूना-सूना हो कर शहीद बालम की याद में आंसू बहाने लगा। हर कोई शहीद के परिजनों को सांत्वना देने के लिए चला आया। परिजनों का तो रो-रोकर बुरा हाल है। पिता राजेंद्र सिंह, मां लीला देवी, भाई जगदीश डोबाल, सुंदर डोबाल सहित अन्य परिजनों के आंसू थम नहीं रहे थे। इस गमहीन माहौल के बीच शहीद का अंतिम संस्कार पूरे सैन्य सम्मान के साथ किया गया। श्रद्धासुमन अर्पित करने के बाद सारतोला के तिमाणी श्मशान घाट में सैन्य टुकड़ी ने राइफलमैन बालम सिंह को अंतिम सलामी दी। बालम के चाचा सुंदर सिंह ने शहीद राइफलमैन के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी। इस दौरान क्षेत्र के गांवों से बड़ी संख्या में लोग श्रद्धांजलि अर्पित करने जवान के गांव पहुंचे और अंतिम यात्रा में भी शामिल हुए।




बता दें कि मूल रूप से पिथौरागढ़ जिले के गणाईगंगोली क्षेत्र के नैनोली गांव निवासी राइफलमैन बालम सिंह डोभाल की प्रशिक्षण के बाद सेना में पहली पोस्टिंग के लिए जाते समय चार रोज पूर्व मौत हो गई थी। तीन भाइयों में सबसे छोटे शहीद राइफलमैन बालम बीते वर्ष 23 मार्च 2018 को सेना की तीन कुमाऊं रेजिमेंट में भर्ती हुआ थे। रानीखेत में ट्रेनिंग पूरी करने के बाद वह कुछ समय पूर्व ही घर आए थे। उनकी पहली पोस्टिंग आसाम हुई थी। जिसके लिए वह बीते शनिवार को घर से रानीखेत और फिर वहां से आसाम के लिए रवाना हुए थे। चार रोज पूर्व जब असम के गुवाहाटी में थे तो उनकी मौत हो गई थी। बालम के आकस्मिक निधन की खबर को सुनकर घर में कोहराम मच गया था। शोकाकुल परिजनों के साथ ही पूरे गांव में मातम पसर गया था। जवान की मौत का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है अलबत्ता साथ में आए सेना के जवानों ने बताया कि गुवाहाटी में ट्रेन से उतरते समय गिरने से उसकी मौत हो गई।




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