दोनों शहीदों (Martyr) के पार्थिव शरीर सेना के विशेष विमान से उतरा हैलीपेड पर, फिर वाहन से पहुचाया पैतृक गांव..
मां भारती की रक्षा करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले देवभूमि उत्तराखंड के वीर सपूतों का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव पहुंच गया है। दोनों जवानों के पार्थिव शरीर को सेना के विशेष विमान से दोपहर करीब दो बजे स्थानीय हैलीपेड पर पहुंचा। जहां गंगोलीहाट के शहीद (Martyr) नायक शंकर सिंह महरा का पार्थिव शरीर सेना के विमान से दशाईथल हैलीपैड पर उतारा गया वहीं मुनस्यारी तहसील के शहीद हवलदार गोकर्ण सिंह चुफाल का पार्थिव शरीर नाचनी में बने हैलीपैड पर उतारा गया। हैलीपेड से दोनों के पार्थिव शरीर को सेना के वाहनों से उनके पैतृक गांव पहुंचाया गया। पार्थिव शरीर के घर पहुंचते ही दोनों ही न केवल परिजनो की आंखों से अश्रुओं की धारा बहने लगी बल्कि वहां उपस्थित सभी लोगों की आंखें भी नम हो गई। नाली गांव निवासी शहीद शंकर का मासूम बेटे को देखकर तो परिजनों को ढांढस बंधाने आए स्थानीय ग्रामीण भी अपने आंसू नहीं रोक सकें। परिजनों के अंतिम दर्शन के बाद दोनों ही शहीदों का अंतिम संस्कार पैतृक घाटों पर पूरे सैन्य सम्मान के साथ किया जाएगा।
जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में शहीद हुए है दोनों जवान, मुनस्यारी के नापड़ गांव के रहने वाले हैं हवलदार गोकर्ण सिंह:-
गौरतलब है कि 21 कुमाऊं रेजिमेंटके दोनों जवान बीते शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले के उरी सेक्टर में पाकिस्तानी सेना की नापाक हरकतों को मुंहतोड़ जवाब देते हुए शहीद हो गए थे। शहीद (Martyr) गोकर्ण सिंह चुफालमुनस्यारी तहसील के नापड़ गांव के रहने वाले हैं। वह कारगिल लड़ाई के दौरान थल सेना सेना में भर्ती हुए थे। बता दें कि शहीद गोकर्ण का परिवार वर्तमान में बरेली में रहता है। जहां उनके दो बच्चे मनीष और चांदनी आर्मी स्कूल में पढ़ते हैं। शहीद की पत्नी गोदावरी भी बच्चों के साथ रहती है। शहादत की खबर से गोकर्ण का परिवार रोते-बिलखते गांव पहुचा। जहां पत्नी गोदावरी सहित दोनों बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल है। वहीं उसका छोटा भाई नरेश पूरी तरह टूट चुका है। बेरोजगार भाई कहता है कि उसका एकमात्र आश्रयदाता नहीं रहा।