जानिए उत्तराखण्ड के मिनी कश्मीर – पिथौरागढ़ के बारे में
पिथौरागढ़ जिले के विषय में जानने के बाद इसमें कोई संदेह नहीं रह जाएगा कि यह वास्तव में मिनी कश्मीर है। पिथौरागढ़ जिला उत्तराखण्ड के कुमाऊं मंडल का एक बेहद खूबसूरत पर्वतीय क्षेत्र है। पिथौरागढ़ जिला तीन पड़ोसी देशों क्रमशः नेपाल, चाइना और तिब्बत के साथ अपनी सीमा साझा करता है। पिथौरागढ़ जिला चारों ओर से उच्च पर्वतीय श्रेणियों से घिरा हुआ है, जो क्रमशः नन्दा देवी पर्वत , त्रिशूल पर्वत और राजरम्भा पचांचुली है। इसके साथ ही अन्य कई पर्वतो व ग्लेशियरों से घिरा पिथौरागढ़ अपनी सुंदरता की वजह से एक विख्यात पर्यटन स्थल भी है। इसके साथ ही पिथौरागढ़ कैलाश पर्वत और मानसरोवर जाने वाले सभी तीर्थ यात्रींओ के लिए प्रवेश द्वार है।
क्या है यहाँ विशेष –
अस्कोट वन्य जीव विहार – यह उत्तराखंड का ही नहीं वरन पुरे भारत का एक शानदार वन्य जीव विहार है। यह मुख्यतः हिमालयन सफेद तेंदुए, काले भालू और हिरन के लिए प्रसिद्ध है।यह पिथौरागढ़ से लगभग 54 किलोमीटर की दूरी पर है।
पाताल भुवनेश्वर उत्तराखण्ड के कुमाऊं मंडल पिथौरागढ़ जिले में गंगोलीहाट कस्बे से लगभग 14 किमी दूर स्थित एक विशालकाय गुफा है जो कि चुना पत्थर से निर्मित गुफा है। लोकसाहित्य के अनुसार यह भूमिगत गुफा भगवान् शिव व 33 करोड़ देवी देवताओं से प्रतिष्ठापित है। यह गुफा 90फीट गहरी और 160मीटर लम्बी है। यह मात्र गुफा ही नहीं वरन भक्तों की आस्था का केंद्र व बहुत सुन्दर रमणीय पर्यटन स्थल भी है।
हाट कालिका मन्दिर – माँ हाट कालिका का प्रसिद्ध मंदिर पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट कस्बे में स्थापित है। यह मन्दिर चारों ओर से देवदार के घने वृक्षों से घिरा हुआ है। प्राचीन हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार आदि गुरु शंकराचार्य ने महाकली का शाक्तिपीठ स्थापित करने के लिए देवदार के घने जंगलों से घिरे इस स्थान का चयन किया था । यह माना जाता है कि देवी काली ने पश्चिम बंगाल से इस जगह को अपने घर स्थानांतरित कर दिया था और तब से इस क्षेत्र में लोकप्रिय देवी (माँ हाट कालिका) के रूप में पूजी जाती है।

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