Sandeep Sonu New Song: जीजा साली के हास परिहास पर आधारित है लोक गायक संदीप का यह नया गीत, दिलाता है पहाड़ की लोक संस्कृति एवं पुराने दिनों की याद…
Sandeep Sonu New Song
सोशल मीडिया के सुप्रसिद्ध प्लेटफार्म यूट्यूब के इस जमाने में वैसे उत्तराखण्ड संगीत जगत से एक से बढ़कर एक नए गीत आए दिन निकलते ही रहते हैं परंतु यह उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति की कितनी झलक दिखा पाते हैं यह कहना थोड़ा मुश्किल सा लगता है। इसका सबसे बड़ा कारण यही है कि आजकल लोग डीजे गीत संगीत को खासा पसंद करते हैं जिस कारण उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति से जुड़े झोड़ा चांचरी जैसे गीतों की झलक यदा कदा ही देखने को मिलती है। बात उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति की हों रही है तो कुमाऊं की संस्कृति को प्रचारित प्रसारित करने वाले लोक गायक संदीप सोनू को कैसे भुलाया जा सकता है। जो हमेशा पहाड़ की संस्कृति को सहेजने के लिए सराहनीय पहल करते रहते हैं। इसी कड़ी में अब उनका नया झोड़ा चांचरी गीत ‘साई देवकी’, बीते रोज उनके आफिशियल यूट्यूब चैनल से रिलीज हो गया है। जिसमें उनके साथ युवा गायिका दीपा पंत ने अपनी मधुर आवाज दी है। यह भी पढ़ें- Sandeep Sonu Songs: लोक गायक संदीप सोनू का बेहद खूबसूरत गीत रंगीली धाना रिलीज
Jhoda Chanchari Song
आपको बता दें कि डीजे गीतों के इस नए जमाने में भी लोक गायक संदीप सोनू का यह नया झोड़ा चांचरी गीत दर्शकों को पसंद आ रहा है। देवभूमि दर्शन से खास बातचीत में लोकगायक संदीप बताते हैं कि उनका यह नया झोड़ा चांचरी गीत साली और जीजा के हास परिहार पर आधारित है। आपको बता दें कि हालांकि इसे देखने वाले लोगों की संख्या डीजे गीतों की अपेक्षा काफी कम है परन्तु पहाड़ी संगीत में रूचि रखने वाले लोग अपने आप इस गीत से जुड़ते चले जा रहे हैं। यूं कहें कि यह गीत उन्हें पहाड़ की पुरानी परंपराओं के साथ ही उस दौर की याद दिला रहा है जब पहाड़ में अक्सर इस तरह की झोड़ा चांचरी देखने को मिल जाती थी। चाहे वो शादी विवाह का अवसर हों, या फिर होली नवरात्रि जैसे त्योहारों का। यहां तक कि यह उस समय गांव के सामाजिक ताने-बाने का भी अहम हिस्सा होती थी। लोग अपनी थकान मिटाने के साथ ही एक दूसरे से हंसी मजाक करने के लिए भी इसी तरह की झोड़ा चांचरी का प्रयोग करते थे। बताते चलें कि इस गीत को जहां संदीप सोनू ने स्वयं लिपिबद्ध किया है वहीं गीत के विडियो में माया नेगी एवं हिमांशु आर्या का शानदार अभिनय देखने को मिला है जिससे पहाड़ की प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति पूर्णतः जीवंत हो उठती है।