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Bhupendra Negi Shaeed Uttarakhand
फोटो सोशल मीडिया

Uttarakhand Martyr

पौड़ी गढ़वाल

शहीद भूपेंद्र नेगी बीते वर्ष आए थे अपने गांव, तीन बच्चों और पत्नी समेत परिवार को छोड़ गए अपने पीछे

Bhupendra Negi Shaeed Uttarakhand: लद्दाख में हुए हादसे में शहीद हुए थे भूपेंद्र, पत्नी बार बार हो रही बेसुध, परिवार में मचा है कोहराम, सोमवार को पैतृक गांव पहुंचेगा पार्थिव शरीर…

Bhupendra Negi Shaeed Uttarakhand
घर पर बार-बार बेसुध होती रोती बिलखती पत्नी, बार बार पिता की तस्वीर को निहारते तीन मासूम बच्चे और अपने इकलौते सहारे को याद करते पिता कुंदन सिंह नेगी, जो बाहर से तो पत्थर दिल होकर अपनी बहू, पोते-पोतियों को ढांढस बंधाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन भीतर ही भीतर इतने टूट चुके हैं दरवाजे के पीछे छुपकर अपने आंसू बहाकर दिल के दर्द को कम करने की कोशिश कर रहे हैं। जी हां…. इस वक्त कुछ ऐसा ही माहौल है लद्दाख में हुए टैंक हादसे में शहीद हुए डीएफ‌आर भूपेंद्र सिंह नेगी के परिवार का। भूपेंद्र तीन बहनों के इकलौते भाई थे। उनकी शहादत की खबर मिलते ही उनकी तीनों शादी शुदा बहनें भी अपने मायके पहुंच चुकी है, अगस्त में आने वाले राखी के त्यौहार के बारे में सोचते ही उनके सामने भाई की कलाई नजर आने लगती है। वह इस कल्पना से ही औंधे मुंह गिर रही है कि अब से वे अपने भाई की कलाई पर राखी नहीं बांध पाएंगी। कभी दीवार पर सिर पटकते हुए तो कभी जमीन पर हाथों को मारते हुए जहां भूपेंद्र की पत्नी करूण स्वर में विलाप कर रही है वहीं भूपेंद्र के छोटे छोटे तीनों बच्चों के मासूम चेहरों को देखकर परिजनों को सांत्वना देने पहुंचे ग्रामीण भी अपनी आंखों से अश्रुओं की धारा नहीं रोक पा रहे हैं। शहीद की बहनों की आंखों से भी अविरल अश्रुओं की धारा बह रही है।
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Bhupendra Negi Pauri Garhwal
गौरतलब हो कि मूल रूप से राज्य के पौड़ी गढ़वाल जिले के पाबौ विकासखंड के बिशल्ड गांव निवासी भूपेंद्र सिंह नेगी भारतीय सेना में बतौर डीएफ‌आर कार्यरत थे। वर्तमान में उनकी तैनाती जम्मू-कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में थी, जहां बीते रोज श्योक नदी पर हुए टैंक हादसे में वह शहीद हो गए थे। उनका पार्थिव शरीर सोमवार को उनके पैतृक गांव पहुंचने की संभावना है। बता दें कि उनकी पत्नी अपने बच्चों और ससुर के साथ देहरादून में रहती हैं। शहीद भूपेंद्र की पत्नी एक शिक्षिका हैं। पति की शहादत की खबर मिलते ही वह अपने बच्चों और ससुर के साथ अपने पैतृक गांव पहुंच गई हैं। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि भूपेंद्र काफी खुशमिजाज एवं मिलनसार व्यक्ति थे। वह बीते वर्ष जुलाई में छुट्टियों पर आखिरी बार अपने घर आए थे। बीते 18 वर्षों से मां भारती की सेवा कर रहे भूपेंद्र ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा गांव के ही प्राथमिक विद्यालय बिशल्ड से प्राप्त की थी। जिसके उपरांत उन्होंने राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज पाबौ से 12वीं परीक्षा उत्तीर्ण की थी। इसी दौरान वह सेना में भर्ती हो गए थे। अपने खुशमिजाज दोस्त को याद कर शहीद भूपेंद्र के दोस्त बताते हैं कि बीते वर्ष जब वह छुट्टियों पर घर आए थे उन्होंने अपने दोस्तों को उनका प्रमोशन होने की खबर सुनाई थी। जिस पर बधाई देते हुए उनके दोस्तों ने भूपेंद्र से पार्टी भी ली थी। परंतु तब उन्हें क्या पता था कि यह भूपेंद्र से उनकी आखिरी मुलाकात होगी।

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