Uttarakhand GEP Index State: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने GEP इंडेक्स किया लॉन्च, ऐसा करने वाला पहला राज्य बना उत्तराखंड….
Uttarakhand GEP Index State: गौरतलब हो कि उत्तराखंड सरकार ने 21 दिसंबर 2021 को जीडीपी में पर्यावरण सेवाओं के मूल्य और पर्यावरण को हुए नुकसान की लागत के बीच अंतर को जोड़कर सकल पर्यावरण उत्पाद की परिभाषा को अधिसूचित किया था। जिसके चलते 2021 की अधिसूचना मे सरकार जीईपी के मूल्यांकन तंत्र को विकसित करना चाहती थी ताकि सकल पर्यावरण उत्पाद को राज्य की जीडीपी के साथ ही जोड़ा जा सके। इसी बीच अब 19 जुलाई को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून में प्रेस वार्ता के दौरान जीईपी के आकलन को लेकर सकल पर्यावरण उत्पाद सूचकांक ( GEP Index) का उद्घाटन किया है और ऐसा करने वाला उत्तराखंड दुनिया का पहला राज्य बना है।
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GEP INDEX UTTARAKHAND बता दें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2010-11 के दौरान ग्रीन बोनस की परिकल्पना की थी लेकिन इस दौरान उत्तराखंड राज्य को ग्रीन बोनस का लाभ नहीं मिल सका। जिसके चलते उत्तराखंड सरकार ने यह ऐतिहासिक फैसला लिया है। उनका कहना है कि प्रदेश के लोकल एनवायरमेंट क्वालिटी में हवा ,पानी, मिट्टी और जंगल समेत अन्य फैक्टर शामिल है यदि इनकी क्वालिटी बढ़ती है तो जीईपी सूचकांक में भी वृद्धि देखने को मिलेगी जिसके चलते प्रदेश में चल रहे विकास कार्य पर्यावरण के अनुकूल होंगे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हमारे पूर्वज अच्छा वातावरण अच्छी जमीन, वायु और जल देकर गए है। इनका किस तरह से संरक्षण करें उसका सूचकांक जारी किया गया है यदि विकास के नाम पर पेड़ काटे जा रहे हैं तो उसकी भरपाई के लिए कितने पेड़ लगाए जा रहे हैं इसका भी पता होना चाहिए साथ ही इकोलॉजी और इकोनॉमी में किस तरह से तालमेल बैठाया जाए इसके लिए विकास का मॉडल अपना रहे हैं।
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GEP Index Meaning means:
जीपी इंडेक्स जिसका पूरा नाम है Gross environmental product इसका मकसद है की प्रदेश के वन्य क्षेत्र के साथ पर्यावरण को बेहतर रखने के लिए कदम उठाना जिसके जरिए पता चल सकेगा कि प्रदेश में प्राकृतिक संसाधनों का कितना नाश हुआ है और उसका कितना असर पड़ा है। इसके साथ ही पर्यावरण या नुकसान का सही आकलन भी हो सकेगा। जिस तरह हर साल जीडीपी रिपोर्ट की समीक्षा होती है इसी तरह अब GEP रिपोर्ट का भी आकलन किया जाएगा। यह रिपोर्ट सालाना तैयार की जाएगी जिसमें पर्यावरण को लेकर उत्तराखंड किस स्तर पर पहुंचा है उसे अंकित किया जाएगा।