Uttarakhand Roadways Buses: दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के प्रकोप को देखते हुए दिल्ली सरकार ने लिया बड़ा फैसला अब सिर्फ पूरी तरह फिट डीजल वाहनों को ही दिल्ली(Delhi) के अंदर मिलेगी एंट्री
दिल्ली में प्रदूषण किस तरह अपना कहर बरपा रहा है इससे हर कोई भलीभांति परिचित है। इसी के चलते दिल्ली सरकार ने एक पत्र परिवहन मुख्यालय को भेजा है। इस पत्र में दिल्ली(Delhi) में वाहनों की एंट्री को लेकर कुछ नए नियम-शर्तें बताते हुए सहयोग की अपील की गई है। दिल्ली के परिवहन आयुक्त की ओर से आए इस पत्र में कहा गया है कि राजधानी में सार्वजनिक परिवहन के सभी वाहन सीएनजी से चलते हैं और डीजल वाहनों का संचालन बंद हो चुका है। लेकिन बाहरी राज्यों के डीजल वाहन ही यहां आते हैं। इसलिए जो भी बसें यहां भेजें, वह दस साल से कम पुरानी हों। बता दें कि इसी के चलते दिल्ली सरकार ने उत्तराखंड (Uttarakhand Roadways) से अनुरोध किया है कि कुछ समय के लिए पांच साल पुरानी डीजल बसों(Buses) का संचालन दिल्ली के लिए न किया जाए।
प्राप्त जानकारी के अनुसार दिल्ली के परिवहन सह आयुक्त आशीष कुंदरा ने इस मुद्दे को लेकर उत्तराखंड के परिवहन आयुक्त दीपेंद्र कुमार चौधरी को पत्र भेजा है। जिसमें कहा है कि पिछले कुछ समय से दिल्ली प्रदूषण की भारी समस्या का सामना कर रहा है। हालात को देखते हुए दिल्ली आने वाली डीजल बसों को कम से कम भेजा जाए। इसमे यह भी कहा गया है कि यदि पांच साल से ज्यादा उम्र की बस और वाहनों को दिल्ली रूट पर नहीं भेजा जाए तो ही बेहतर होगा। इसके बाद उत्तराखंड रोडवेज के सामने बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। बताते चलें कि वर्तमान में दिल्ली के लिए प्रतिदिन करीब 400 बसें चलती है। इनमें 150 से ज्यादा बसें पांच साल से कम उम्र की हैं। शेष बसें 5 से छह साल के दायरे में हैं। उत्तराखंड परिवहन निगम के जीएम संचालन दीपक जैन के अनुसार हमारी अधिकतर संचालित हो रही बसें या तो सीएनजी हैं या फिर दस साल से कम पुरानी हैं। सभी बसों के लिए प्रदूषण सर्टिफिकेट अनिवार्य तौर पर रखा गया है।