Champawat Tea Garden: चम्पावत जिला मुख्यालय से 4 किलोमीटर की दूरी पर सीलिंगटाक में स्थित है खूबसूरत चाय बागान, तीन ईको हट व टी कैफे भी बढ़ा रहे हैं इसका आकर्षण….
Champawat Tea Garden
उत्तराखंड अपनी हरी -भरी प्रकृति और औषधि युक्त वनस्पतियो के साथ- साथ हरे -भरे बागानों की नैसर्गिकता के लिए पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है। उत्तराखंड के हरे -भरे बागान विश्व के प्रत्येक देश में रहने वाले पर्यटकों को अपनी ओर भारी मात्रा मे आकर्षित करते हैं। ऐसा ही उत्तराखंड के चंपावत जनपद में स्थित चाय का बागान भी है जो पर्यटकों का हब बन चुका है इतना ही नही यह हब पर्यटकों को अपनी ओर बेहद आकर्षित कर रहा है और यहां पर भारी संख्या में पर्यटक देश -विदेशो से इसका लुफ्त उठाने के लिए पहुंच रहे हैं। आपको जानकारी देते चले मई-जून की तपती गर्मी में शीतल रहने वाले चंपावत में देश से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी यहां पर्यटक हरे-भरे चाय के बागानों का लुफ्त उठाने के लिए भारी मात्रा मे पहुंचते हैं और यहां पर खूबसूरत प्रकृति को निहारने के साथ-साथ जैविक चाय की चुस्कियो का भी भरपूर आनंद उठाते हैं। इतना ही नहीं यहाँ पर आपको चन्द शासको की राजधानी रही चंपावत जनपद के शीर्ष से सूर्य अस्त हुआ हिमालय की उच्च चोटियों से सूर्योदय की मनोहारी दृश्य को निहारने का भी मौका मिलता है।
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आपको बताते चलें चाय विकास बोर्ड ने जिला मुख्यालय से 4 किलोमीटर की दूरी पर सीलिंगटाक मे 21 हेक्टेयर में फैले चाय के बागानों के बीच तीन ईको हट व टी कैफे भी तैयार किए हैं। जहां पर किराया देकर ठहरा जा सकता है और पहाड़ी व्यंजनों का भी भरपूर लुफ्त उठाया जा सकता है। जी हां आपको बता दें 241 हेक्टेयर में 60000 किलो चाय की पत्तियों का उत्पादन होता है और हर वर्ष में करीब 10 टन चाय तैयार होती है जिसका निर्यात बाहरी देशों में किया जाता है सिलिंगटाक मे चाय बागान के बीच एक करोड़ की अधिक लागत से चार हेक्टेयर क्षेत्र टी टूरिज्म के रूप में विकसित किया गया है। जहां पर आप भ्रमण करने के अलावा खूबसूरत नजारों को देखने के लिए व्यू पॉइंट में पहुंच सकते हैं और यहां से आपको देवदार, बांज, चीड़ के वृक्षों के साथ -साथ खूबसूरत पहाड़ियों को निहारने का भी सुनहरा अवसर प्राप्त होता है। आपको बता दे यहाँ पर विदेशी पर्यटकों के अलावा यहां के आसपास के लोग भी भारी संख्या में इस बागान का दीदार करने के लिए पहुंचा करते हैं इतना ही नहीं चाय के बागान के बेहतर रखरखाव के लिए 12 वर्ष से अधिक उम्र के पर्यटकों से शुल्क लिया जाता है। आपको बता दे यहाँ पर आपको कुमाऊं मे गहत की दाल ,राजमा की दाल के साथ साथ पौष्टिक भरे डूब के और खीर ,लाल चावल का भात यहां आने वाले पर्यटकों को परोसा जाता है। यह स्थान सौंदर्यता से परिपूर्ण होने के कारण पर्यटकों को बेहद भाता है।
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चाय के बागानों की खासियत:-
आपको बता दें चाय बागान की खासियतों में शामिल हैं विशाल खेतों में चाय की पौधों की सुंदरता, मौसम के साथ सहीत अन्य प्राकृतिक वातावरण, चाय के उत्पादन की प्रक्रिया का नजारा, चाय का अनूठा स्वाद और खुदरा वायदा। इसके अलावा, यहाँ पर्यटक स्थानीय रहने वाले लोगों के साथ बातचीत कर साथीयता का अनुभव करते हैं और उनके साथ परंपरागत जीवन का अनुभव करते हैं। दरअसल चंपावत का चाय बागान पर्यटकों के लिए वास्तव में एक हब बन गया है। यहाँ पर पर्यटक चाय के उत्पादन की प्रक्रिया को सीखते हैं, चाय की रसोई में चाय पीते हैं और प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेते हैं। इसके अलावा, यहाँ पर्यटक आत्मीयता का महसूस करते हैं और खुले मन से अपने पर्यावरण के साथ संवाद करते हैं। इससे उन्हें खेतों में चलते हुए एक अनूठा अनुभव मिलता है।