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देहरादून

उत्तराखंड: बाजार गई बच्‍ची रास्ता भटक कर पहुंची जंगल, बितानी पड़ी पूरी रात, सूझबूझ से पहुंची घर

देहरादून के शिरगांव निवासी दिव्या अपनी बुआ के साथ बाजार गई थी परंतु रास्ता भटक कर पहुंच गई जंगल, मुश्किल वक्त में भी नहीं छोड़ा साहस..

पहाड़ के छोटे-छोटे बच्चे भी साहसी, निडर एवं निर्भिक होते हैं। मुश्किल घड़ी में भी हिम्मत ना हारना जैसे बचपन से ही उनके स्वभाव में होता है। और हो भी क्यों ना, वो पहाड़ सी बड़ी-बड़ी परेशानियों का सामना करते हुए जो बड़े होते हैं। क‌ई किलोमीटर तक पैदल चलकर स्कूल जाना, पढ़ाई के साथ-साथ घर के कार्यों में परिजनों का हाथ बंटाना ये तो मात्र चंद उदाहरण है जो पहाड़ के बच्चों को मेहनती साबित करने के साथ ही उनके कठिनाई पूर्ण जीवन पर भी प्रकाश डालते है। यही कारण है कि पहाड़ के बच्चे विपरीत परिस्थितियों में तनिक भी विचलित नहीं होते और बड़े से बड़े संकट का सामना भी पूरी हिम्मत से करते हैं। आज हम आपको पहाड़ की एक ऐसी ही साहसी और बहादुर बच्ची से रूबरू करा रहे हैं, जिसने अपने साहस के बलबूते घने जंगल में अकेले रात बिताई और सुबह अपनी सूझबूझ का परिचय देते हुए सकुशल घर भी पहुंच गई। जी हां.. हम बात कर रहे हैं राज्य के देहरादून जिले की रहने वाली नौ वर्षीय दिव्या की, जो गई तो थी अपनी बुआ के साथ बाजार घूमने परंतु रास्ता भटक कर जंगल में पहुंच ग‌ई जिस कारण उसे पूरी रात भर घने जंगल में बितानी पड़ी परंतु उसने साहस नहीं छोड़ा और अगले दिन अपनी सूझबूझ का परिचय देते हुए वह सुरक्षित अपने घर पहुंच ग‌ई।
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दिव्या ने जंगल में एक पेड़ के नीचे बैठकर बिताई पूरी रात:-

प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के देहरादून जिले के त्यूणी तहसील के शिलगांव के रहने वाले पंकज शर्मा गांव में रहकर ही खेती करते हैं। उनकी नौ वर्षीय पुत्री दिव्या कक्षा चार की छात्रा है। बताया गया है कि बीते रविवार को दोपहर बाद दिव्या अपनी बुआ के साथ पास के कथियान बाजार गई। इस दौरान जब उसकी बुआ दुकान से सामान खरीद रही थी तो दिव्या बाजार में घूमने की इच्छा से वहां से चली गई। लेकिन खरीददारी में व्यस्त दिव्या की बुआ को इस बात का बिल्कुल भी पता नहीं चला। खरीददारी के बाद जब उन्हें दिव्या आसपास कहीं नजर नहीं आई तो उन्होंने उसकी तलाश शुरू की परंतु दिव्या का कहीं पता नहीं चला। जिस पर पहले उन्होंने ग्रामीणों को घटना के बारे में बताया और फिर राजस्व पुलिस को मामले की जानकारी दी। जिस पर राजस्व पुलिस की टीम भी दिव्या की खोजबीन में जुट गई परंतु उन्हें भी कोई सफलता नहीं मिली। दूसरी ओर बाजार में अकेले घूमने को निकली दिव्या रास्ता भटककर बाजार के पास में ही स्थित घने जंगल में पहुंच गई। जंगल से उसे वापस बाजार या घर आने का कोई रास्ता नहीं दिखाई दिया। रास्ता न मिलता देख पहले तो वह डर गई परंतु उसने अपना साहस नहीं छोड़ा। काफी खोजबीन करने के बाद भी जब उसे घर जाने का रास्ता नहीं दिखा तो अंधेरा होने पर वह जंगल में ही एक पेड़ के नीचे बैठ गई और उसने पूरी रात वहीं गुजारने का निर्णय लिया।
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दिव्या ने अगले दिन सुबह एक बार फिर दिया अपने साहस और सूझबूझ का परिचय, गांव से धुआं आता देख पहुंच गई उस गांव में:-

उधर दूसरी ओर दिव्या की गुमशुदगी से उसके परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था। सोमवार सुबह परिजनों के साथ ही राजस्व पुलिस ने एक बार फिर उसकी खोजबीन शुरू की। अभी पुलिस की खोजबीन चल ही रही थी कि इसी बीच पास के ही पुरटाड़ गांव से पुलिस को सूचना मिली कि शिलगांव की रहने वाली दिव्या गांव में गोशाला के नजदीक सुरक्षित मिल गई है। सूचना मिलते ही पुलिसकर्मी दिव्या के परिजनों को लेकर पुरटाड़ गांव पहुंचे। दिव्या को सकुशल देखकर जहां पुलिस कर्मियों ने राहत की सांस ली वहीं उसके परिजनों ने दिव्या को गले से लगा लिया। पूछताछ में दिव्या ने पूरी कहानी बयां कर बताया कि कैसे वह रास्ता भटककर जंगल में पहुंच गई थी, जहां उसे पूरी रात एक पेड़ के नीचे गुजारनी पड़ी। उसने बताया कि सुबह होने पर वह एक बार फिर से जंगल से बाहर निकलने के लिए रास्ता ढूंढने लगी। इसी दौरान उसे जंगल में कुछ दूरी से धुआं आता हुआ दिखाई दिया। जिस पर दिव्या ने सोचा कि धुआं जरूर पास के किसी गांव से आ रहा होगा और काफी सोच-विचार कर उसने धुएं की दिशा में बढ़ने का निश्चय किया। इस तरह वह वह उसी दिशा में आगे बढ़ी और पुरटाड़ गांव पहुंच गई। दिव्या के सुरक्षित मिलने से जहां उसका परिवार खुश हैं वहीं क्षेत्रवासियों ने भी दिव्या के साहस और सूझबूझ की सराहना की है।





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