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Martyr Deepak Singh Uttarakhand

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देहरादून

उत्तराखंड: बहने रक्षाबंधन पर कर रही थी भाई का इंतजार अब तिरंगे में लिपटा आएगा इकलौता भाई…

Martyr Deepak Singh Uttarakhand: रक्षाबंधन से पहले दो बहनों का इकलौता भाई जम्मू कश्मीर आतंकी हमले में शहीद दौड़ी शोक की लहर…

Martyr Deepak Singh Uttarakhand: गौरतलब हो कि बिते बुधवार को जम्मू कश्मीर के डोडा में सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच हुई गोलाबारी में देहरादून के 25 वर्षीय कैप्टन दीपक सिंह शहीद हो गए थे। दरअसल सुरक्षा कर्मियों का पहाड़- घाटियों और अलग-अलग स्थान पर सर्च अभियान जारी था। जिसके चलते डोडा के अस्सार इलाके में भारतीय सेना व जम्मू कश्मीर पुलिस ने सर्च अभियान चलाया तभी सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हो गई। आपको बता दें कि मूल रूप से अल्मोड़ा जिले निवासी कैप्टन दीपक सिंह दो बहनों के इकलौते भाई थे जो तीनों भाई बहनों में सबसे छोटे थे। रक्षाबंधन पर अपने भाई की कलाई पर राखी बांधने का इंतजार कर रही दो बहनों पर भी भाई की शहादत की खबर से दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।उनकी छोटी बहन ज्योति की शादी तीन माह पहले ही हुई थी जिसमें शामिल होने के लिए दीपक सिंह भी देहरादून आए हुए थे। जबकि दीपक की बड़ी बहन मनीषा केरल में रहती है इन दिनों बलिदानी के माता-पिता उन्हीं के पास केरल गए हुए थे। जहां पर उनकी बहने रक्षाबंधन की तैयारियों में जुटी हुई थी और अपने भाई की सलामती और लंबी उम्र की दुआ कर रही थी लेकिन उन्हें कहां खबर थी कि जिसके लिए वे कामना कर रही हैं वो देश की सेवा करते हुए शहीद हो गए है। मन में भाई को देखने का अरमान था लेकिन अब तिरंगे में लिपटा उनका पार्थिव शरीर घर पहुंचने वाला है।

Captain Deepak Singh Doda encounter Jammu Kashmir: कैप्टन दीपक ने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई सेंट थॉमस स्कूल से उत्तीर्ण की थी। इसके पश्चात 13 जून 2020 को वह सेना में कमीशन हुए थे। कैप्टन दीपक के पिता महेश सिंह उत्तराखंड पुलिस के रिटायर्ड कार्मिक है जो पुलिस मुख्यालय में तैनात थे और इसी वर्ष अप्रैल मे उन्होंने वीआरएस लिया था जबकि दीपक की मां चंपा देवी गृहणी है। कैप्टन दीपक की शहादत की खबर सुनते ही पूरे प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई। बलिदानी दीपक सिंह पढ़ाई लिखाई के साथ-साथ खेलकूद में भी अव्वल रहे उन्होंने फुटबॉल, हॉकी समेत कई खेलों में प्रतिभाग कर बहुत सारे पुरस्कार जीते थे जिनसे आज भी उनका पूरा कमरा भरा हुआ है। दीपक का परिवार उनकी शादी के लिए सपने संजो रहा था जिसके लिए दीपक ने एक साल का समय मांगा था और राष्ट्रीय राइफल्स की सेवाएं पूरी करने के बाद शादी करने का निर्णय लिया था लेकिन अचानक उनकी शहादत की खबर से पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।

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