almora forest fire incident binsar: अल्मोड़ा जिले के बिनसर वन्यजीव अभ्यारण मे जंगल की भीषण आग मे चार घरों के चिराग बुझ गए, परिवार मे दुःखो का पहाड़ टूटा है लेकिन उनके दर्द को समझने वाला कोई नही, AC में आराम फरमा रहे मंत्री, 48 घंटे बाद भी नहीं पहुंचे परिजनों के आंसू पोंछने……. …..
almora forest fire incident binsar: अल्मोड़ा जिले के बिनसर अभयारण्य के जंगलो मे लगी भीषण आग की चपेट में आकर चार वन विभाग के कर्मियों की दर्दनाक मौत हुई जिसके चलते उनके परिवार मे दुःखो का पहाड़ टूट पड़ा है और उनका रो- रोकर बुरा हाल है लेकिन बावजूद इसके 48 घंटे के बाद भी कोई मंत्री पीड़ित परिवारों के आंसू पोंछने तक नहीं पहुंचा। इस भयावह घटना ने अल्मोड़ा सहित प्रदेश के हर किसी व्यक्ति को झकझोर कर रख दिया मगर फिर भी किसी मन्त्री को इतनी फुर्सत नहीं है कि वह पीड़ित परिवारों से जाकर मिले और इस दुख की घड़ी में उन्हें सांत्वना देकर उनका दर्द बाँट सके। ऐसे में अल्मोड़ा जिले के लोगों का तमाम मंत्रियों पर गुस्सा फूटा है और उनका कहना है कि अगर उनके विधानसभा क्षेत्र में ऐसा दर्दनाक हादसा हुआ होता तो क्या तब भी कोई मंत्री वहां नहीं जाता। सत्ता के नशे मे चूर मन्त्रियों को उन परिवारों का दर्द महसूस नही होगा जिन्होंने अपने कमाऊ पूत खो दिए, महिलाओं की मांग सूनी हो गई और बच्चों के सिरों से पिता का साया उठ गया आखिर इन लोगों का दर्द कौन समझेगा कौन इनके गहरे जख्मों पर मरहम लगाऐगा।
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अपनो की याद आते ही परिजन हुए बेहोश:-
almora forest fire binsar: अल्मोड़ा मे वनाग्नि की घटना ने हर किसी की आँखे नम करदी है चार कर्मियों के घरों मे अब सिर्फ करुण क्रंदन के अलावा और कुछ नहीं है। परिजन अपनो को याद करते हुए रो बिलखकर गश खाकर नीचे गिर रहे है और नियति को कोस रहे है आसपास के लोग उन्हें सांत्वना देने आ रहे है लेकिन उनकी हालत देखकर अपनी आंखों को भी नम होने से नहीं रोक पा रहे हैं। गांव में चारों तरफ एक सन्नाटा सा छा गया है। वन बीट अधिकारी बिनसर रेंज त्रिलोक सिंह मेहता जिले के उड़लगांव, बाड़ेछीना के रहने वाले थे उनकी पत्नी प्रेम मेहरा गृहिणी हैं। जिनका एक बेटा और चार बेटियां है एक बेटी का विवाह हुआ है जबकि चार बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं त्रिलोक सिंह हंसी खुशी अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियां का निर्वहन कर रहे थे लेकिन ना जाने उनकी खुशी को किसकी नजर लग गई और वह इस दर्दनाक घटना का शिकार हो गए । इनके अलावा तीन और परिवारों मे मातम पसरा है पूरन मेहरा पीआरडी में तैनात थे और इन दिनों उनकी ड्यूटी वन विभाग में लग हुई थी। पूरन की पत्नी माया भी गृहिणी हैं। उनके दो बेटे हैं जिनमें से एक प्राइवेट नौकरी करता है जबकि दूसरा अभी शिक्षा प्राप्त कर रहा है। पूरन भी जैसे तैसे अपने भरे पूरे परिवार का पालन पोषण कर रहे थे लेकिन जंगल की भीषण आग ने उन्हें भी नही छोड़ा। इतनी बड़ी घटना का जिम्मेदार लोग प्रशासन की तरफ से बरती गई लापरवाही को बता रहे हैं वही मंत्रियों पर भी कई सारे सवाल लोगों द्वारा खड़े किए जा रहे हैं।
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विभागीय मंत्री तो छोड़िए अल्मोड़ा जिले से ताल्लुक रखने वाली कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य भी नहीं पहुंची एक परिजनों से मिलने, आखिर कहां गई एक महिला में छिपी मां की ममता…
almora fire incident binsar: अल्मोड़ा जिले की विधानसभा से विधायक व कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य भी पीड़ित परिवारों का हाल जानने नहीं पहुंची जिससे क्षेत्र के लोग काफी ज्यादा नाराज हुए हैं उन लोगों का कहना है कि मंत्री ना सही तो एक महिला होने के नाते रेखा आर्य अपने जिले के लोगों का दर्द बांटने तो आ सकती थी। लोग तो यह कहने से भी नहीं चूक रहे हैं कि एक महिला में हमेशा मां की ममता छिपी रहती है। वह किसी के भी दुखों को सबसे अधिक महसूस कर सकती हैं। ऐसे में रेखा आर्य के सिने में छिपा ममत्व आखिर कहां गया? आग में अपनों को खोने वाले लोग तो कुछ बोलने की स्थिति में नहीं है लेकिन गांव वाले बेहद नाराज हैं। गांव वालो का कहना है कि मंत्रियों और अधिकारियों की नजर में इन मौतों की कोई कीमत नहीं है तभी तो कोई पीड़ित परिवार के आंसू पोछने तक नहीं आया। इस भीषण त्रासदी के समय भी विभागीय मंत्री सुबोध उनियाल के साथ ही पूरी धामी कैबिनेट बंद कमरों में एसी की हवा खाते हुए गुफ्तगू कर रही है। ऐसे में बड़ा सवाल तो यही है कि हमारे जनप्रतिनिधियों और सत्ताधारी नेताओं के लिए क्या आम जनमानस की जान की कोई कीमत नहीं है?