UTTARAKASHI
Dharali harsil rescue live: धराली हर्षिल जलप्रलय रेस्क्यू अपडेट तीसरे दिन 260 लोग एयरलिफ्ट
dharali cloudburst rescue update : धराली में आई आपदा के बाद रेस्क्यू अभियान जारी, गांव पहुंचने तक के लिए सेना बना रही रास्ता, फंसे लोगों को निकालने के लिए तेजी से चल रहा रेस्क्यू अभियान ,8 लोगो की मौत, गुरुवार शाम तक 260 पर्यटकों को किया गया एयरलिफ्ट, 112 पहुंचाए गए देहरादून…
dharali cloudburst rescue operation live update main reason flood Uttarkashi Disaster : उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली में बीते मंगलवार को आए जल सैलाब ने सबको झकझोर कर रख दिया था इतना ही नहीं बल्कि कई लोग मलबे के नीचे दब गए थे जबकि 4 लोगो की जिंदगी चली गई थी वहीं बीते बुधवार को 2 शव बरामद हुए जबकि आज गुरुवार को भी 2 शव बरामद हुए है अभी तक कुल 8 लोगो की जान जा चुकी है । गांव में 200 लोग फंसे हुए थे जिन्हें निकालने का प्रयास सेना के साथ ही SDRF, NDRF तथा स्थानीय पुलिस कर रही है वहीं अधिकांश लोगो का रेस्क्यू कर लिया गया है । हालांकि पिछले 48 घंटे से बारिश लगातार हो रही थी जिसके कारण रेस्क्यू अभियान में दिक्कतें सामने आयी। उत्तरकाशी के धराली गांव मे बादल फटने की वजह से आपदा जैसी स्थिति शासन प्रशासन के लिए चुनौती बनकर रह गई है जिससे निपटने के लिए विभाग के सभी लोग आपसी तालमेल बनाकर कार्यवाही कर रहे हैं वही IAS और आईपीएस अधिकारियों तक की ड्यूटी आपदा प्रभावित क्षेत्रों में लगने के साथ ही स्वास्थ्य विभाग के 11 डॉक्टरों की टीम को रवाना किया है। बीते बुधवार शाम जहां आर्मी के 11 घायल जवानों को एयर लिफ्ट कर आईटीबीपी मातली पहुंचाया गया है वहीं आज गुरूवार शाम तक लगभग 260 लोगों को भी एयरलिफ्ट कर मालती पहुंचाया गया है जबकि 112 पयर्टकों को हेलीकॉप्टर की मदद से जौलीग्रांट एयरपोर्ट देहरादून पहुंचाया गया है। जहां से उन्हें गंतव्य की ओर रवाना किया जाएगा। यह जानकारी उत्तराखण्ड के मुख्य सचिव आनंद वर्धन ने दी है। कुल मिलाकर उत्तरकाशी के हर्षिल और धराली आपदा प्रभावितों के लिए राहत व बचाव कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। भारतीय वायुसेना के चीनूक और एमआई 17 हेलीकॉप्टर ने रेस्क्यू ऑपरेशन की गति को और भी तेज कर दिया है।
मुख्यमंत्री धामी ने दिया एक माह का वेतन:-
इस बीच एक बड़ी खबर सामने आ रही है जिसके मुताबिक मुख्यमंत्री धामी ने अपना एक माह का वेतन आपदा पीड़ितों की सहायता के लिये देने का फैसला किया है। वहीं, उत्तराखंड आईएएस एसोसिएशन ने आपदा पीड़ितों की सहायता के लिये एक दिन का वेतन दान दिया है। बताया गया है कि ये सभी धनराशि मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा की जायेगी, ताकि आपदा प्रभावितों की सहायता की जा सकें।
रेस्क्यू किए गए सभी 260 लोगों की सूची देखें अभी क्लिक करें
भारतीय सेना का बयान आया सामने:-
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार भारतीय सेना द्वारा बताया गया है कि अब तक 70 नागरिकों को बचाया गया। 3 नागरिकों की मौत की पुष्टि हुई; 50 से ज़्यादा लापता (नागरिक प्रशासन के अनुसार)। भारतीय सेना के 1 जेसीओ और 8 जवान लापता। 9 सैन्यकर्मियों और 3 नागरिकों को हेलीकॉप्टर से देहरादून पहुँचाया गया। 3 गंभीर रूप से घायल नागरिकों को एम्बुलेंस से एम्स ऋषिकेश पहुँचाया गया। 8 नागरिकों को उत्तरकाशी के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। 2 शव बरामद। सेना की ओर से यह भी कहा गया है कि यह क्षेत्र कई भूस्खलनों और सड़कों के टूटने के कारण अभी भी कटा हुआ है। कई स्थानों – बर्तवारी, लिंचीगाड, हर्षिल के निकट, गंगरानी और धराली – पर सड़कें बुरी तरह बाधित हैं। हर्षिल में सैन्य हेलीपैड चालू है। नेलोंग में हेलीपैड चालू है और गंगोत्री से सड़क मार्ग से जुड़ा है, जिससे पर्यटकों की आवाजाही सुविधाजनक हो रही है। धराली में सिविल हेलीपैड भूस्खलन के कारण बंद पड़ा है। भारतीय वायुसेना भी अब रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल हो गई है। वायुसेना के चीनूक और एमआई 17 हेलीकॉप्टर के पहुंचने से आज गुरूवार को रेस्क्यू ऑपरेशन की गति भी बढ़ गई। इससे न केवल लोगों को रेस्क्यू कर जौलीग्रांट एयरपोर्ट देहरादून और मालती हैलीपेड पहुंचाया जा रहा है बल्कि मशीनों को भी आपदाग्रस्त क्षेत्रों में पहुंचाया जा रहा है ताकि राहत एवं बचाव कार्य और तेजी से चल सके।
Uttarkashi cloudburst incident | 70 civilians rescued so far. 3 civilian deaths confirmed; over 50 missing (as per Civil Administration). Military: 1 JCO and 8 Jawans reported missing. 9 Army personnel and 3 civilians evacuated by helicopter to Dehradun. 3 critically injured… https://t.co/G5Ecmt1CAB
— ANI (@ANI) August 7, 2025
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अभी तक मिली जानकारी के अनुसार धराली आपदा में बड़ी संख्या में लोग लापता है जबकि 274 से अधिक लोगों का रेस्क्यू कर लिया गया है। इसके साथ ही आर्मी कैंप को नुकसान होने के कारण 9 सैनिक लापता है। लगातार हो रही बारिश और बिजली संचार की सुविधा न होने के कारण एसडीआरएफ भारतीय सेना समेत अन्य सभी टीमों को भारी दिक्कतों से जूझना पड़ रहा है। आईटीबीपी और आर्मी के जवान धराली में बीच गांव में फंसे ग्रामीणों तक पहुंचने के लिए 25 फीट ऊंचे मलबे में रास्ता बनाने की कोशिश कर रहे हैं जिसके लिए अस्थाई पुल का निर्माण किया जा रहा है। बताते चले उत्तराखंड नागरिक उडयन विकास प्राधिकरण के सीईओ आशीष चौहान ने जानकारी देते हुए बताया कि हमारे पास चार-पांच हेलीकॉप्टर उपलब्ध है जैसे ही मौसम साफ होता है तो राहत बचाव के लिए हवाई प्रयास शुरू किए जाएंगे। मीडिया रिपोर्ट्स एवं स्थानीय लोगों द्वारा कई लोगों के लापता होने की बातें कहीं जा रही है लेकिन इस संबंध में आपदा सचिव विनोद कुमार सुमन ने जानकारी देते हुए बताया कि अभी 15 लोग और लापता हैं, जिनमें 9 सेना के जवान है। बाकी को रेस्क्यू कर लिया गया है।
उत्तरकाशी में कई जगह लैंडस्लाइड गंगोत्री नेशनल हाईवे बंद
लगातार बारिश के कारण NH-34 (उत्तरकाशी-गंगोत्री अक्ष) पर कई जगहों पर सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई हैं, वहीं पापड़गाड़ में 100 मीटर का बहाव और धराली के पास मलबे के कारण बड़ी रुकावटें आ रही है। गंगनानी मे पुल बहने के कारण धराली हाईवे से संपर्क तक टूट गया है। डीएम प्रशांत कुमार आर्य ने गंगनानी के पास लिमच्छा गाड़ मे पुल बहने से बैंड गंगोत्री हाईवे का जायजा लिया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहुंचे उत्तरकाशी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज बुधवार को उत्तरकाशी पहुंच गए हैं जहां पर उन्होंने धराली बाजार हर्षिल और आसपास के क्षेत्र में आई आपदा से हुए नुकसान का हवाई सर्वेक्षण किया । मुख्यमंत्री उत्तरकाशी स्मार्ट कंट्रोल रूम में मौजूद आला अधिकारियों के साथ प्रभावित क्षेत्रों में राहत बचाव कार्यों की समीक्षा कर रहे है। बता दें मुख्यमंत्री यहां पर दो दिन तक रहेंगे और खुद रेस्क्यू ऑपरेशन का मुआयना करेंगे इससे पहले सरकार की तरफ से इस हादसे को लेकर हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए दिए गए है साथ ही राज्य के सीएम केंद्र सरकार के भी संपर्क में हैं।
सीटी आपदा से अलर्ट करने का साधन
बताते चले उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में खड़ी चढ़ाई और ढलान होने के कारण एक गांव से दूसरे गांव में पहुंचना बेहद मुश्किल होता है इसलिए आबादी के बीच सीटी बजाकर लोगों को अलर्ट किया जाता है। ठीक इसी तरह से बीते मंगलवार को उत्तरकाशी जिले के धराली मे बाढ़ आने के दौरान लोगों ने सीटी बजाकर आपदा ग्रस्त क्षेत्र में मौजूद लोगो को अलर्ट किया हालांकि पानी का सैलाब इतना तेज था कि सब कुछ एक झटके में तबाह हो गया। वहीं पहाड़ों में आवाज गूंजती है जिस कारण सीटी बजाने की आवाज काफी दूर तक जाती है। इसे साइलेंट सायरन भी कहा जाता है। पर्वतीय क्षेत्रों में इसका प्रयोग खतरे की चेतावनी देने के लिए उस पुरातन काल से किया जाता है, जब टेलिफोनिक संसाधन आदि कुछ भी नहीं थे। आज भी पहाड़ों में सीटी जनसंचार का सबसे सशक्त माध्यम है। इसी कारण 21वीं सदी में भी बीते रोज धराली क्षेत्र में ग्रामीणों को आगाह करने के लिए लोग सीटी बजाते हुए सुनाई दिए।
मौसम विभाग बोला बादल नहीं फटा जियोलॉजिस्ट ने किया ये दावा
उत्तरकाशी के धराली में आई आपदा को मौसम विभाग ने बादल फटने से इनकार किया जिस पर मौसम विभाग का कहना था कि वहां पर बादल नहीं फटा। इतना ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक रोहित थपलियाल ने साफ तौर पर कहा कि फिलहाल उत्तरकाशी में बादल फटने जैसी कोई घटना का रिकॉर्ड नहीं किया गया है इसलिए इसे सीधे तौर पर बादल फटना नहीं कहा जा सकता है। वही भूटान मे php1 के वरिष्ठ जियोलॉजिस्ट इमरान खान ने ग्लेशियर डिपॉजिट स्लाइड की तस्वीर सांझा करते हुए कहा कि धराली गांव लगभग 7 किलोमीटर ऊपरी की ओर समुद्र तल से 6,700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जिससे ग्लेशियर डिपॉजिट डेबरी का एक बड़ा हिस्सा टूटने से मलवा तेजी से नीचे की ओर आया। सैटेलाइट इमेज के अनुसार मलवे की मोटाई 300 मीटर और क्षेत्रीय विस्तार तकरीबन 1.12 वर्ग किलोमीटर बताया गया जिसके कारण भारी तबाही मची।
घटना के बारे मे जाने क्या कहा आईआईटी रुड़की के हाइड्रोलॉजी विभाग के वैज्ञानिक ने
इस संबंध में आईआईटी रुड़की के हाइड्रोलॉजी विभाग के वैज्ञानिक प्रोफेसर अंकित अग्रवाल के अनुसार उत्तरकाशी बीते रोज आई आपदा का पैटर्न वर्ष 2013 में केदारनाथ में आई जल प्रलय की तरह ही था। दोनों घटनाओं की मुख्य वजह भूमध्य सागर से उठने वाले पश्चिमी विक्षोभ का हिमालय से टकराना रहा है। जिससे बादल फटने की घटना ने विकराल रूप ले लिया और विशाल जल सैलाब सब कुछ बहाकर ले गया। बीते रोज धराली में आए जल सैलाब की गति 54 किमी0/घंटा बताई जा रही है। यानी इस दौरान खीरगंगा ने 1 सेकंड में 15 मीटर की दूरी तय की, इसी से जलप्रलय की भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
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