Divyanshu Rawat ARMY Lieutenant: यूपीएससी के माध्यम से सेना की इंजीनियरिंग कोर में पाई एंट्री, बिना किसी कोचिंग के एसएसबी की परीक्षा एवं इंटरव्यू में हासिल की देश में 78वीं रैंक, आप भी दीजिए बधाई…
उत्तराखण्ड के वाशिंदों का देश की सेनाओं के प्रति समर्पण एवं सेनाओं में भर्ती होने का जज्बा जगजाहिर है। यही कारण है कि जनसंख्या घनत्व के हिसाब से समूचे देश में काफी पीछे काबिज उत्तराखण्ड, सैन्य क्षेत्र में भर्ती होने वाले युवाओं की संख्याबल के हिसाब से देश के शीर्षस्थ राज्यों में शामिल हैं। यहां से प्रतिवर्ष सैकड़ों युवा देश की सेनाओं में भर्ती होते रहते हैं। आज हम आपको राज्य के एक और ऐसे ही होनहार युवा से रूबरू कराने जा रहे हैं जो भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनकर मां भारती की सेवा करेंगे। जी हां.. हम बात कर रहे हैं मूल रूप से राज्य के रूद्रप्रयाग जिले के थाती बड़मा गांव के वाले दिव्यांशु रावत की, जिन्होंने यूपीएससी द्वारा आयोजित सबसे कठिनतम परीक्षाओं में शामिल एसएसबी की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है। सबसे खास बात तो यह है कि इस परीक्षा के परिणामों में उन्होंने समूचे देश में 78वीं रैंक हासिल कर समूचे प्रदेश को गौरवान्वित होने का सुनहरा अवसर प्रदान किया है। उन्होंने यह अभूतपूर्व उपलब्धि बिना किसी कोचिंग के हासिल की है। जो कि वाकई काबिले तारीफ है।
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प्राप्त जानकारी के अनुसार एसएसबी की कठिन परीक्षा और इंटरव्यू को सफलतापूर्वक पार करने वाले दिव्यांशु रावत का परिवार बीते काफी वर्षों से पौड़ी गढ़वाल जिले के श्रीनगर क्षेत्र में रहता है। उन्होंने देशभर के लाखों बच्चो के बीच समूचे देश में 78 वी रेंक हासिल करते हुए एसएसबी की परीक्षा के सभी पैरामीटर क्लियर कर यूपीएससी के माध्यम से सेना की इंजिनियरिंग कोर में एंट्री पाई है। अब वह चार वर्ष के कठिन प्रशिक्षण के बाद भारतीय सेना में बतौर लेफ्टिनेंट सम्मिलित होकर मां भारती की सेवा में तैनात हो जाएंगे। बता दें कि सेना में अफसर अपने बड़े भाई प्रियांशु को अपना सबसे बड़ा प्रेरणास्रोत मानने वाले दिव्यांशु ने मीडिया से बातचीत में बताया कि उनके बड़े भाई प्रियांशु एनडीए के जरिए सेना में अफसर बने थे। बताते चलें कि दिव्यांशु ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा रेनबो पब्लिक स्कूल से प्राप्त करने वाले दिव्यांशु वर्तमान में शहीद भगत सिंह कॉलेज दिल्ली में बीए सेकेंड ईयर के छात्र हैं। बेटे की इस अभूतपूर्व उपलब्धि से काफी खुश उनके पिता दिलबर सिंह रावत जहां जीजीआईसी चौकी में अध्यापक हैं वहीं उनकी मां मंगला रावत एक कुशल गृहिणी हैं। दिव्यांशु ने अपनी इस अभूतपूर्व सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, दादा-दादी व गुरुजनों को दिया है। सबसे खास बात तो यह है कि पढ़ाई में अव्वल दर्जे के छात्र होने के साथ ही दिव्यांशु एक अच्छे फुटबॉल खिलाड़ी भी हैं और अब तक कई पदक अपने नाम कर चुके हैं।
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