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उत्तराखण्ड

चमोली

उतराखण्ड : पहाड़ में एक डीएम साहिबा ऐसी भी, स्वरोजगार के लिए महिलाओं को खुद दी सिलाई मशीन

DM Swati S Bhadauriya: जिलाधिकारी स्वाती एस भदौरिया ने पूरी की सीमांत क्षेत्र की ग्रामीण महिलाओं की मांग, महिला समूहों ने दिया जिलाधिकारी को धन्यवाद..

भारत के अंतिम गांव नीती और माणा राज्य के चमोली जिले में स्थित है। सीमांत क्षेत्र होने के कारण यह इलाका रोजगार के अन्य सभी डिजिटल संसाधनों से दूर है। खेती के साथ ही हस्तशिल्प यहां के ग्रामीणों का रोजगार का प्रमुख जरिया है। लेकिन उसके लिए भी ग्रामीणों के पास संसाधनों की भारी कमी है। बता दें कि यहां कि महिलाएं हस्तशिल्प में इतनी पारंगत है कि इनके द्वारा बनाए गए सुंदर हैंडीक्राफ्ट वस्तुएं देश-विदेश में पसंद की जाती है। कपड़ों में की गई सुंदर चित्रकारी पर्यटकों का भी मन मोह लेती है। लेकिन इसके लिए सबसे आवश्यक वस्तु सिलाई की मशीन का ही महिलाओं के पास अभाव है। जिस कारण सिलाई का सारा काम उन्हें हाथ से करना पड़ता है। बीते दिनों इन गांवों का दौरा जिले की डीएम स्वाति एस. भदौरिया (DM Swati S Bhadauriya) ने किया था। बता दें कि इस दौरान उन्होंने ग्रामीणों के साथ बातचीत कर उनकी समस्याओं का जानने का प्रयास किया था। डीएम से बातचीत में महिलाओं ने अपनी यह समस्या भी सामने रखी और जिलाधिकारी से सिलाई मशीन दिलाने की मांग की।
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जिलाधिकारी भदौरिया ने महिलाओं की मांगों को गंभीरता से लेते हुए चंद दिनों में ही भिजवाई सिलाई मशीनें, तैयार वस्त्रों के विपणन की व्यवस्था करने का भी दिया आश्वासन:-  चमोली जिले के सीमांत नीती घाटी के दौरे के दौरान महिलाओं द्वारा की गई सिलाई मशीन की मांग को जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने गम्भीरता से लिया। उन्होंने दौरे से वापस लौटने के चंद दिनों बाद ही ये सिलाई मशीनें नीति घाटी के लिए भेज दी है। बताते चलें कि जिलाधिकारी ने सीमांत नीती घाटी के महिला समूहों के लिए आठ सिलाई मशीन के साथ ही सात नीटिंग मशीनें खरीदकर ग्रामीण महिलाओं को भेजीं है। सिलाई मशीनें मिलने से खुश महिला समूहों ने जहां इसके लिए जिलाधिकारी को धन्यवाद दिया है वहीं उनका कहना है कि अब तक जिस काम को हाथ से करने में दस से पंद्रह दिन लगते थे, उस काम को अब वह एक दिन में ही कर सकते हैं। इससे एक ओर उनकी आमदनी बढ़ेगी तथा दूसरी ओर काम में दक्षता भी आएगी। इसके साथ ही जिलाधिकारी ने महिला समूहों को उनके द्वारा तैयार परम्परागत वस्त्रों के विपणन की व्यवस्था करने का आश्वासन भी दिया है।

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