Draupadi Murmu Uttarakhand Visit : द्रौपदी मुर्मू अपने जन्मदिन पर पहुँची उत्तराखंड , राष्ट्रपति निकेतन और तपोवन का किया उद्घाटन, बच्चों को देख हुई भावुक छलक उठी आँखे..
Draupadi Murmu Uttarakhand Visit : देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उत्तराखंड मे तीन दिवसीय दौरे पर हैं जो बीते शुक्रवार को अपने 67 वें जन्मदिन के मौके पर राजधानी देहरादून पहुंची जहां पर उन्होंने राष्ट्रपति निकेतन और राष्ट्रपति तपोवन का उद्घाटन किया इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रपति उद्यान की आधारशिला भी रखी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति निकेतन तपोवन व उद्यान जैव विविधता पर आधारित पुस्तक का विमोचन किया जिसमें 300 से अधिक वनस्पतियों और 170 से अधिक जीवों की प्रजातियों का विवरण है जिनमें तितलियां पक्षी और स्तनधारी जीव को शामिल किया गया है। बताते चले राष्ट्रपति निकेतन 1 जुलाई से आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा। जबकि राष्ट्रपति तपोवन 24 जून से लोगों के लिए खुलने वाला है।
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अभी तक मिली जानकारी के अनुसार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उत्तराखंड प्रवास के दौरान बीते शुक्रवार को उस समय भावुक हो गई जब वो राष्ट्रीय दृष्टिहीन दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान में आयोजित कार्यक्रम में पहुंची जहां पर दृष्टिबाधित बच्चों ने उन्हें सुरीली आवाज मे गीत गाकर जन्मदिन की शुभकामनाएं दी। बच्चों ने राष्ट्रपति के जन्मदिन के शुभ अवसर पर बार-बार दिन यह आए बार-बार दिल ये गाए तू जिए हजारों साल गीत गाना शुरू किया ही था कि राष्ट्रपति इतना सुनते ही भावुक हो गई और उनकी आंखें झलक उठी। इस दौरान मंच पर मौजूद सभी लोग यह भावनात्मक दृश्य देखकर काफी इमोशनल हो गए थे ।
राष्ट्रपति की बच्चों को गाना गाते देखा छलक उठी आंखें ( Draupadi Murmu Uttarakhand Visit)
जब राष्ट्रपति आंखें पोंछने लगी तो एडीसी ने उन्हें तुरंत रुमाल दिया इस भावुक पल के बीच जब बच्चों ने राष्ट्रपति को जन्मदिन की बधाई दी तो पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। इस दौरान राष्ट्रपति ने कहा कि भगवान जब किसी से कुछ लेता है तो बदले में उसे ऐसी प्रतिभा देता है जो उसे बाकी लोगों से सबसे अलग बनाती है मैं अपने जन्मदिन पर यहां आकर बेहद खुश हूँ। राष्ट्रपति ने कहा कि दिव्यांग बच्चों के आत्मविश्वास और प्रतिभा की सराहना करनी होगी क्योंकि जब उन्होंने बच्चों को गाते देखा तो उनकी आंखों से आंसू स्वयं ही बहने लगे। राष्ट्रपति ने कहा की बच्चे गले से नहीं बल्कि दिल से मेरे लिए गाना गा रहे थे इस दौरान उन्हें ऐसा लग रहा था कि जैसे सरस्वती मां उनके कंठों में विराजमान हो।
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