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गैरसैंण: ये कैसी विधानसभा, दस साल में महज 34 दिन पहुंची सरकार, राजधानी भी सिर्फ नाम की

Uttarakhand capital rajdhani gairsain: मानसून सत्र के दौरान गैरसैंण में टूटा डेढ़ वर्ष से पसरा हुआ सन्नाटा, सत्रावसान के बाद अब फिर से छाई खामोशी, विधानसभा भवन बनने के बाद 122 महीनों में केवल 34 दिन यहां पहुंची उत्तराखण्ड सरकार….

Uttarakhand capital rajdhani gairsain: चमोली जिले का गैरसैंण जो आमतौर पर शांत और सन्नाटे में डूबा रहता है विधानसभा सत्र के दौरान अचानक से अगस्त माह में जीवंत हो उठा। इतना ही नहीं बल्कि इस दौरान सरकारी गाड़ियों की आवाजाही और अफसरों की भाग दौड़ भी नजर आई। वहीं सरकारी फाइलों को लेकर इधर-उधर जाने में अधिकारियों की गतिविधियों ने पूरे इलाके में हलचल पैदा कर दी जिससे स्थानीय लोग और क्षेत्र की व्यवस्था भी सत्र के दौरान सक्रिय नजर आई लेकिन यह सब चहल पहल केवल दो-तीन दिन के लिए ही दिखाई दी और मानसून सत्र खत्म होते ही विधानसभा भवन के साथ ही राजधानी गैरसैंण की सड़कों पर भी एक बार फिर से सन्नाटा पसर गया है।
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uttarakhand Assembly session Gairsain बता दें चमोली जिले के गैरसैण मे पिछले वर्ष के फरवरी मार्च 2023 से पसरा हुआ सन्नाटा इस वर्ष अगस्त माह में विधानसभा सत्र के दौरान टूटा है। जिसके चलते मानसून सत्र के दौरान सुबह से ही गैरसैंण मे खूब रौनक दिखाई दी इसके साथ ही गाड़ियां इधर-उधर दौड़ती हुई नजर आई। इस दौरान अफसर भी फाइलें लेकर इधर-उधर दौड़ रहे थे लेकिन यह सब आयोजन महज 3 दिन के लिए चला। उसके बाद फिर से अगले सत्र तक वही सन्नाटा पसर गया है। यह भी पता नहीं है कि इस बार यह सन्नाटा कितना लंबा चलेगा। आपको बता दें इससे पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने वर्ष 2013 में गैरसैंण में विधानसभा भवन का शिलान्यास किया था जिसके बाद से गैरसैंण मे करीब 122 महीने गुजर चुके हैं लेकिन इन 122 महीनों के 3660 दिनों मे गैरसैंण में सत्र का आयोजन मुश्किल से 34 दिन तक ही हो पाया है जिस पर अक्सर गैरसैंण को लेकर राजनीति गरमाई रहती है।
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uttarakhand government in gairsain भले ही भाजपा की सरकार में गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी का दर्जा मिला हो लेकिन असल बात तो यह है कि यह ना तो कांग्रेस के लिए कोई वजूद रखती है और ना ही भाजपा के लिए इसीलिए तो यहां पर मंत्रियों का आना-जाना बेहद कम रहता है। बताते चले वर्ष 2014 के बाद 2019 और 2022 में सत्र का आयोजन नहीं हुआ। हद तो तब हो गई जब 2019 में सर्दियों की वजह से कार्यक्रम को टाला गया था। वहीं वर्ष 2022 में कोरोना महामारी की वजह से सत्र आयोजित नहीं हो पाया इसके बाद बीते साल बजट सत्र होने के बाद अब इस वर्ष मानसून सत्र का आयोजन किया गया। अब तक गैरसैंण में वर्ष 2018 और 2021 में ही सबसे ज्यादा अवधि तक सत्र आयोजित किए गए हैं। ऐसे में जेहन में एक सवाल तो उठता ही है कि क्या गैरसैंण में ये विधानसभा भवन, ये ग्रीष्मकालीन राजधानी केवल नाम के लिए ही नहीं हैं क्योंकि इतने वर्षों में भी सरकार यहां न तो अपना कोई सचिवालय ही स्थापित कर पाई है और ना ही यहां किसी सरकारी अमले को तैनात किया गया है। यहां यह कहना बिल्कुल भी ग़लत नहीं लगता है कि कहीं विधानसभा सत्र के दौरान यहां सरकारी अमले के साथ ही कागज कलम से लेकर कम्प्यूटर जैसे आवश्यक उपकरण भी देहरादून से ही अपने साथ तो नहीं लाये जाते???

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