Haridwar land purchase scam : हरिद्वार जमीन घोटाले में फील्ड पोस्टिंग में लगे IAS कर्मेंद्र सिंह पर पहले ही लग गया दाग, एक PCS समेत 12 अधिकारियों व कर्मचारियों पर गिरि गाज..
Haridwar land scam case : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बीते मंगलवार को हरिद्वार जिले में जमीन घोटाले पर बड़ी कार्यवाही करते हुए दो IAS एक PCS समेत 12 अधिकारियों को सस्पेंड किया है जिसके चलते अन्य अधिकारियों में हड़कम्प मच गया। वहीं जिन दो आईएएस अधिकारियों पर गाज गिरी है उनका कोई बड़ा सर्विस रिकॉर्ड नहीं है हालांकि दोनों अधिकारियों को हाल ही में फील्ड पोस्टिंग पर तैनात किया गया था लेकिन सरकार की कार्यवाही के दौरान इन अधिकारियों के वर्दी दागी हो गई।
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Haridwar DM IAS karmenda singh land scam: अभी तक मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2011 बैच के अधिकारी कर्मेंद्र सिंह हरिद्वार जिले के जिला अधिकारी पद पर तैनात थे जो व्यवहार के कुशल और बेहद शांत स्वभाव के अधिकारी माने जाते हैं जिन्हें पूरे घोटाले के सामने आने के बाद इसकी जानकारी नहीं थी। इससे पहले कर्मेंद्र सिंह लोक सेवा आयोग में सचिव भी रहे जबकि वर्ष 2022 में अपर सचिव कार्मिक के पद पर कर्मेंद्र की तैनाती रही थी जिसके चलते उनकी यह तीसरी पोस्टिंग थी। वर्ष 2020 मे कमेंद्र उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड आए थे जो मूल रूप से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से ताल्लुक रखते हैं। वहीं दूसरी ओर IAS वरुण चौधरी भी ज्यादा लंबे समय से फील्ड पोस्टिंग पर नहीं रहे हैं जिन्हें हरिद्वार में नगर आयुक्त पद के बाद शासन में स्वास्थ्य सचिव पद पर तैनात किया गया था। वर्ष 2023 में वह सिटी मजिस्ट्रेट हरिद्वार और उसके बाद ऋषिकेश में एसडीएम के पद पर तैनात किए गए थे जिन्हें हरिद्वार का नगर आयुक्त भी नियुक्त किया गया था इसी दौरान जमीन को खरीदा गया। वरुण चौधरी दिल्ली के रहने वाले हैं।
जानें क्या पूरा मामला ( Haridwar land purchase scam)
वर्ष 2024 में हरिद्वार नगर निगम ने ग्राम सराय में 54 करोड रुपए में 2.3070 हेक्टेयर जमीन को खरीदा था जो नगर निकाय चुनाव के दौरान खरीदी गई थी उस समय हरिद्वार नगर निगम की पूरी जिम्मेदारी नगर आयुक्त वरुण चौधरी के हाथों में थी। आरोप है कि नगर निगम ने जो जमीन खरीदी थी उसकी कीमत लाखों रुपए में बीघा में थी लेकिन उसे 54 करोड़ में खरीदा गया इसके साथ ही आज तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह जमीन किस उद्देश्य से खरीदी गई है वही जब यह मामला सामने आया तो शासन ने सचिव रणवीर सिंह चौहान को जांच की जिम्मेदारी दी थी जिसमें घोटाले की बात सामने आने पर शासन को रिपोर्ट भेजी गई तो सचिव रणवीर सिंह चौहान की रिपोर्ट पर 3 जून को जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह समेत अन्य अधिकारियों को पद से निष्कासित किया गया।
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