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Nanda sati of chamoli uttarakhand

उत्तराखण्ड

चमोली

बधाई : गढ़वाल यूनिवर्सिटी की छात्रा नंदा सती को मिला राष्ट्रपति से संगीत विषय में गोल्ड मेडल

Nanda sati garhwal University: सोशल मीडिया पर उत्तराखंड की मांगल गर्ल के नाम से फेमस है नंदा, कर रही है पारंपरिक मांगल गीतों को नई पहचान दिलाने का सराहनीय काम….

Nanda sati garhwal University
आज जबकि उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों की समृद्ध लोक संस्कृति, लोक संगीत और विलुप्त होती परंपराएं पुनः जीवित हो रही है तो इसका सारा श्रेय प्रदेश के उन युवाओं को जाता है जो इस दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। चाहे वो कुमाऊं मंडल की लोककला ऐंपण हों या फिर राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में शुभ अवसरों पर गाए जाने वाले मांगल गीत, दोनों ही को सहेजने में युवाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज हम आपको राज्य की एक और ऐसी ही होनहार बेटी से रूबरू कराने जा रहे हैं जिन्होंने न केवल राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से संगीत के क्षेत्र में गोल्ड मेडल हासिल किया है बल्कि वह पारंपरिक मांगल गीतों को नई पहचान दिलाने का सराहनीय काम भी कर रही है। जी हां… हम बात कर रहे हैं गढ़वाल यूनिवर्सिटी की होनहार छात्रा नंदा सती की, जिन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बीते दिनों मास्टर ऑफ आर्ट (संगीत विषय) में गोल्ड मेडल प्रदान किया है। नंदा की सराहनीय पहल को देखते हुए यह कहना बिल्कुल भी अतिशयोक्ति नहीं होगा कि जिस उम्र में आज की युवा पीढ़ी मोबाइल, मेट्रो व गैजेट की दुनिया में खोई रहती है उस उम्र में नंदा का अपनी लोक संस्कृति से इतना लगाव उन्हें एक अलग पंक्ति में खड़ा करता है।
(Nanda sati garhwal University)
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आपको बता दें कि सोशल मीडिया पर उत्तराखंड की मांगल गर्ल जैसे उपनामों से अपनी खास पहचान बनाने वाली नंदा सती, मूल रूप से राज्य के चमोली जिले के पिंडर घाटी के नारायण बगड़ गांव की रहने वाली है। बहुमुखी प्रतिभा की धनी नंदा बचपन से ही शिक्षा, साहित्य, संगीत, वादन एवं क्रीड़ा जैसे अनेक क्षेत्रों में अग्रणी रही है। बता दें कि अपनी प्रारम्भिक शिक्षा गांव के ही स्कूल से प्राप्त करने वाली नंदा ने बालिका इंटर कॉलेज नारायण बगड़ से इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण कर हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय से संगीत विषय में परास्नातक की डिग्री हासिल की है। पहाड़ी गीतों के संरक्षण व संवर्धन के लिए उन्हें न केवल लायंस क्लब एवं उत्सव ग्रुप द्वारा भी सम्मानित किया गया है बल्कि महज 22 वर्ष की छोटी उम्र में नंदा सती के गाए जाने वाले मांगल गीतों व लोकगीतों को सुनकर हर कोई अचंभित एवं मंत्रमुग्ध हो जाता है। इतना ही नहीं वादन के क्षेत्र में भी वह किसी संगीतकार से कम नहीं है खासतौर पर हारमोनियम पर उनकी पकड़ वाकई अद्भुत है।
(Nanda sati garhwal University)

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