IAS Anuradha Pal Biography: पिता ने दूध बेचकर बड़े संघर्षों से पढ़ाया बेटी बन गई आज उत्तराखंड में डीएम….
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अनुराधा पाल की जीवनी (Biography of Anuradha Pal)
इनके जीवनी की बात करें तो वह मूल रूप से हरिद्वार जिले के एक छोटे से गांव की रहने वाली है।उनके माता पिता एक साधारण इंसान है। इनके पिता दूध बेचकर परिवार का भरण पोषण करते थे। उन्होंने दूध बेचकर परिवार के भरण-पोषण के साथ ही बच्चो को पढ़ाया भी। इनकी स्कूली शिक्षा हरिद्वार के जवाहर नवोदय विद्यालय से हुईं है और इन्होंने ग्रेजुएशन उत्तराखंड में स्थित गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग के साथ किया है। 2008 में पढ़ाई पूरी होने के बाद उनका सिलेक्शन एक टेक महिंद्रा कंपनी में हो गया। तत्पश्चात नौकरी के साथ-साथ उन्होंने आईएएस परीक्षा पास करने का भी लक्ष्य रखा।फिर कुछ टाइम बाद उन्होंने टेक महिंद्रा कंपनी में नौकरी छोड़ दी।उन्होंने नोकरी सिर्फ इसलिए छोड़ दी ताकि वे यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर सके। इसके बाद उन्होंने 3 साल के लिए लेक्चरर के रूप में कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी रुड़की ज्वाइन किया और नौकरी के साथ ही यूपीएससी परीक्षा की तैयारी भी जारी रखा। सन 2012 में भारतीय सेवा में चयनित होने के लिए उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 451 के साथ यूपीएससी क्लियर किया। मगर वह इसे बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं थी क्योंकि उन्हें आईएएस अधिकारी बनना था। जिसके लिए पुनः 2015 में अनुराधा पाल ने UPSC परीक्षा दी और इस बार उनका ऑल इंडिया 62 रैंक के साथ आईएएस अधिकारी बनने का सपना पूरा हो गया। सर्वप्रथम वह पिथौरागढ़ के सीडीओ के पद पर तैनात हुई। मगर उनके जुनून ईमानदारी और प्रतिष्ठा से प्रभावित होकर प्रशासन ने उन्हें बागेश्वर का जिलाधिकारी बनाया। वर्तमान में वह बागेश्वर के 19 जिलाधिकारी के रूप में कार्यभार संभाल रही हैं और पूरी मेहनत और ईमानदारी से अपने कर्तव्य का पालन कर रही है।
जब आईएएस अधिकारी बनने के लिए किए कई संघर्ष
(IAS Anuradha Pal Success story)
उन्होंने अपने आईएएस अधिकारी बनने के लिए कई संघर्षों का सामना किया। कभी परिवार की गरीबी आयी तो कभी काफी मुसीबतें मगर तब भी हार नहीं मानी और काफी संघर्षों के बाद डीएम आईएएस बनने का मुकाम हासिल किया।डीएम अनुराधा पाल ने यूपीएससी परीक्षा पास करने और आईएएस अधिकारी बनने के लिए कई प्रकार की जी तोड़ महेनत की जहां एक ओर उनके पापा ने दूध बेचकर उनको पढ़ाया लिखाया तो वहीं उन्होंने अपनी कोचिंग की फीस भरने के लिए पढ़ाई के साथ-साथ नौकरी भी की। साथ ही कई बार बच्चो को ट्यूएशन पड़ा कर अपनी कोचिंग की फीस भी भरी। क्योंकि वह बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखती थी और उनके माता-पिता एक गरीब इंसान थे जो दूध बेचकर बच्चों का पालन पोषण करते थे जिस करण उनको अपने घर से कभी इतनी मदद नहीं मिल पाई। इसलिए उन्होंने अकेले ही अपने दम पर अपना आईएस बनने के सपना पूरा किया और कभी हार नहीं मानी। इसलिए आज अनुराधा पाल जिस भी मुकाम पर वह अपने दम पर हैं। उनकी सफलता इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि अगर जीवन में कुछ पाना है तो फिर मुसीबतें उन्हें रोक नहीं सकती बस हमारे अंदर जुनून होना चाहिए उस सपने को पूरा करने का या उस मंजिल को हासिल करने का। डीएम अनुराधा पाल आज कई युवाओं और बच्चों की प्रेरणा स्रोत है। “वह बच्चों को सीख देते हुए कहती है कि उन्हें हमेशा ऐसे ही सब्जेक्ट चुनने चाहिए जिनमें उन्हें इंटरेस्ट हो।क्योंकि जिंदगी में हमें तभी किसी भी चीज में सफलता मिलती है जब हमें उस चीज में इंटरेस्ट हो”।तो ये थी बेहद ही ईमानदार और प्रतिभा की धनी बागेश्वर जिले के डीएम अनुराधा पाल के संघर्षों की कुछ कहानियां।की किस प्रकार वह दूसरों की प्रेरणा स्रोत बनी और कभी भी मजबूरियां और मुसीबतों को अपने सपने के बीच नहीं आने दिया और आज एक सफल जिलाधिकारी बनी।