Kalp Kedar Dharali Uttarkashi: धराली में आए सैलाब की चपेट में आया ऐतिहासिक कल्प केदार मंदिर, बहुत पुराना रहा है मंदिर का इतिहास
Kalp Kedar temple mandir history Dharali cloudburst kheerganga flood harshil Uttarkashi: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में बीते मंगलवार को आए सैलाब ने सब कुछ एक झटके में तबाह कर दिया जिसमें चार लोगों की मौत की पुष्टि हुई है जबकि अभी तक कई सारे लोग लापता बताए जा रहे हैं जिनकी खोज के लिए तलाशी व रेस्क्यू अभियान चलाया जा रहा है वहीं सेना SDRF, NDRF समेत अन्य दमकल विभागों के जवान मोर्चा को संभालने के लिए तैनात है जिसके जरिए अभी तक कई सारे लोगों का रेस्क्यू कर लिया गया है। बताते चले बादल फटने से खीर गंगा नदी में आए सैलाब के कारण धराली का ऐतिहासिक कल्प केदार मंदिर भी मलवे की चपेट में आ गया है वही पूरा बाजार भी तहस-नहस हो चुका है।
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अभी तक मिली जानकारी के अनुसार उत्तरकाशी के धराली में मौजूद भगवान शिव के अति प्राचीन मंदिर कल्प केदार में भी मलबा आया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मंदिर बेहद प्राचीन है जो केदारनाथ धाम के वास्तु शिल्प से मिलता जुलता है इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि जिस तरह से केदारनाथ धाम मंदिर वर्षो बर्फ में दबा रहा ठीक उसी तरह से कल्प केदार मंदिर किसी आपदा की वजह से जमीन में दबा रहा था। वहीं कुछ लोग इसे महाभारत काल से जोड़कर देखते हैं जिस पर लोगों का कहना है कि इस प्राचीन मंदिर में दर्शन पूजन 19वीं सदी से होने लगा था। ऐसा माना जाता है कि 1945 में बहाव कम होने पर लोगों ने खीर गंगा के किनारे मंदिर के शिखर जैसी संरचना को देखा तो इस जगह खुदाई की गई जहां पर खुदाई के बाद कई फुट जमीन की खुदाई के बाद एक प्राचीन शिव मंदिर निकला जिसकी बनावट केदारनाथ मंदिर जैसी थी।
स्थानीय लोगों का दावा
स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले भी खीर गंगा ने मंदिर को अपनी चपेट में लिया था जबकि 1945 में खुदाई के बाद मंदिर के निकलने से पूजा शुरू हुई थी और खुदाई के बाद भी मंदिर धरातल से नीचे ही था जिसके कारण श्रद्धालु नीचे जाकर मंदिर में पूजा पाठ करते हैं। मंदिर के गर्भ ग्रह में जहां शिवलिंग स्थापित है वहां अक्सर खीर गंगा का जल आ जाता था । मंदिर में जाने के लिए मिट्टी निकालकर रास्ता बनाया गया जो एक बार फिर इसकी जद में आ गया है।
कत्यूर शैली का बना है मंदिर
मंदिर का वास्तु शिल्प कत्यूर शैली का बताया जाता है जहां पर मंदिर के गर्भ गृह का प्रवेश द्वार कई मीटर नीचे बताया जाता है मंदिर के बाहर पत्थरों पर नक्काशी की गई थी जबकि गर्भ गृह का शिवलिंग केदारनाथ मंदिर की तरह ही नंदी की पीठ जैसी आकृति वाला है। मंदिर की स्थापना को लेकर अलग-अलग दावे किए जाते हैं कुछ लोगों का कहना है कि इसका निर्माण आदि शंकराचार्य द्वारा कराया गया था।
1816 मे धराली के मंदिरों का जिक्र
धराली के प्राचीन मंदिरों के विषय में अगर बात की जाए तो सन 1816 में गंगा भागीरथी के उद्गम की खोज में निकले अंग्रेज यात्री जेम्स विलियम फ्रेजर ने अपने वृत्तांत में इनका जिक्र किया है जिसमे उन्होंने धराली के मंदिरों में विश्राम करने की बात कहीं है। इसके बाद सन 1869 में गोमुख तक पहुंचे अंग्रेज फोटोग्राफर और खोजकर्ता सैमुअल ब्राउन ने धराली में तीन प्राचीन मंदिरों की तस्वीरें भी ली थीं जो पुरातत्व विभाग के पास सुरक्षित हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है की यह मंदिर कितना पुराना रहा होगा जिसका जिक्र अंग्रेजो तक ने किया है।
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