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Uttarakhand news: Laxman Singh of Garhwal rifles martyred in Rajasthan from gairsen Chamoli

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उत्तराखंड: गढ़वाल राइफल्स का जवान गोली लगने से शहीद पहाड़ पहुंचा पार्थिव शरीर…

Laxman Singh Garhwal Rifles: भारतीय सेवा के गढ़वाल राइफल्स में तैनात लक्ष्मण सिंह गोली लगने से हुए शहीद पैतृक गांव पहुंच पार्थिव शरीर

समूचे उत्तराखण्ड के लिए एक दुखद खबर राज्य के चमोली जिले से सामने आ रही है जहां का एक और वीर सपूत ड्यूटी के दौरान शहीद हो गए है। शहीद जवान की पहचान लक्ष्मण सिंह के रूप में हुई है। बताया गया है कि वे भारतीय सेना की 20 गढ़वाल राइफल्स में तैनात थे। बता दें कि शुक्रवार को जैसे ही शहीद जवान लक्ष्मण का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव पहुंचा तो तिरंगे में लिपटे हुए शव को देखकर परिजन बिलख पड़े। लक्ष्मण की मां और पत्नी जहां उनके पार्थिव शरीर से लिपटकर बेसुध हो गई वहीं इस करूण दृश्य से बेखबर लक्ष्मण के दो मासूम बच्चों को देखकर वहां उमड़े पास-पड़ोस के ग्रामीणों की आंखें भी नम हो गई। परिजनों के अंतिम दर्शनों के बाद लक्ष्मण का अंतिम संस्कार पूरे सैन्य सम्मान के साथ पैतृक चोंरी घाट पर किया गया, जहां सेना में ही कार्यरत उनके बड़े भाई शेर सिंह ने लक्ष्मण की चिता को मुखाग्नि दी। इस दौरान समूचा क्षेत्र लक्ष्मण सिंह अमर रहे, जब तक सूरज चांद रहेगा लक्ष्मण तेरा नाम रहेगा आदि नारों से गुंजायमान हो उठा।(Laxman Singh Garhwal Rifles)

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अभी तक मिल रही जानकारी के मुताबिक मूल रूप से राज्य के चमोली जिले के गैरसैंण क्षेत्र के फरकंडे तल्ली गांव निवासी लक्ष्मण सिंह भारतीय सेना की 20 गढ़वाल राइफल्स में बतौर नायक कार्यरत थे। वर्तमान में उनकी पोस्टिंग पंजाब के भटिंडा में थी। जहां से वह अपनी यूनिट के साथ फायरिंग अभ्यास के लिए राजस्थान के बीकानेर के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज ग‌ए थे। बताया गया है कि अभ्यास के दौरान बीते 6 अगस्त को जब लक्ष्मण अपनी ड्यूटी पर फायरिंग रेंज के नार्थ कैंप में बतौर कोत एनसीओ तैनात थे। इसी दौरान एक गोली उनके पेट पर लग गई। जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए। जिससे मौके पर हड़कंप मच गया। आनन-फानन में उन्हें सेना के अधिकारियों द्वारा रेंज के एम‌आई रूम में ले जाया गया। जहां से प्राथमिक उपचार के बाद चिकित्सकों ने उन्हें पहले सूरतगढ़ के सैन्य अस्पताल और फिर वेस्टर्न कमांड सैन्य अस्पताल चंडी मंदिर पंचकूला भेजा गया जहां बीते बुधवार 22 अगस्त को वह जिंदगी और मौत की यह जंग हार ग‌ए और उन्होंने उपचार के दौरान दम तोड दिया। शहीद लक्ष्मण अपने पीछे माता-पिता, पत्नी और दो मासूम बच्चों (बेटा 4 वर्ष एवं बेटी 6 वर्ष) के साथ भरे पूरे परिवार को रोते बिलखते बिलखते छोड़ गए हैं ‌।

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