Rudraprayag multiplex building news: रूद्रप्रयाग में नियम कायदे ताक पर रखकर किया जा रहा दस मंजिला भवन का निर्माण कार्य, शासन प्रशासन और एनजीटी भी बना मूकदर्शक, आम जनमानस के साथ ही भू विज्ञानीयो और पर्यावरणविदों की भी बढ़ी चिंता…
Rudraprayag multiplex building news: सोशल मीडिया पर इन दिनों पहाड़ पर बन रही एक दस मंजिला इमारत की फोटो और वीडियो जमकर वायरल हो रही है। जिसका निर्माण सारे नियम कायदों को ताक पर रखकर किया जा रहा है। दरअसल यह दस मंजिला भवन रूद्रप्रयाग जिले में ऋषिकेश बदरीनाथ हाईवे पर सुमेरपुर के पास बन रही है, जिसने आम जनमानस के साथ ही भू विज्ञानीयो और पर्यावरणविदों की चिंता भी बढ़ा दी है। बताया जा रहा है कि यह दस मंजिला इमारत अलकनंदा नदी से कुछ दूरी पर ही बनाया जा रहा है। ऐसे में इस भवन को बनाने की स्वीकृति से लेकर निर्माण कार्य पर सवाल उठ रहे हैं। आपको बता दें कि रूद्रप्रयाग जिला भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील है और जोन 5 में आता है। ऐसे में यहां पर कभी भी भूकंप के अधिक तीव्रता के झटके महसूस हो सकते हैं। बावजूद इसके इस क्षेत्र में दस मंजिला इमारत का निर्माण न केवल समझ से परे है बल्कि एक बड़े खतरे की ओर भी संकेत कर रहा है।
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Rudraprayag ten storey building news अभी तक मिल रही जानकारी के मुताबिक रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय से महज 6 किमी की दूरी पर सुमेरपुर में दस मंजिला भवन बनाया जा रहा है। आपको बता दें कि उत्तराखंड शासन की ओर से रेलवे निर्माण परिसर की सीमा के बाद चार सौ मीटर तक के क्षेत्र को फ्रीज जोन घोषित किया गया है, जिससे कोई भी निर्माण कार्य या विकास गतिविधियां इस क्षेत्र में नहीं हो सकती हैं। बताते चलें कि इसकी देखरेख की जिम्मेदारी जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण को दी गई है। बावजूद इसके यहां पर बहुमंजिला भवन का निर्माण चर्चाओं का विषय बना हुआ है। बताते चलें कि बदरीनाथ हाईवे से सटा सुमेरपुर क्षेत्र ग्रामीण में आता है। ऐसे में यह पर किसी भी तरह के निर्माण कार्य से पूर्व खंड विकास अधिकारी, जिला पंचायत, एनएच से अनापत्ति प्रमाण पत्र लिया जाना आवश्यक है। इतना ही नहीं अलकनंदा नदी से कुछ दूरी पर हो रहे इस निर्माण कार्य पर सिंचाई विभाग की अनुमति होनी भी आवश्यक है।
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Rudraprayag multi storey building news इस संबंध में भूगर्भवेत्ता प्रवीन रावत ने मीडिया से बातचीत में बताया कि पर्वतीय क्षेत्रों में भवन की ऊंचाई 30 मीटर से ज्यादा होने की स्थिति में आईआईटी के स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग विभाग एवं भूकंप इंजीनियरिंग विभाग और राष्ट्रीय भूगर्भीय संस्थान से परीक्षण कराकर अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना जरूरी होता है। जिसके लिए जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण/स्थानीय विकास प्राधिकरण द्वारा आवेदक के व्यय पर अनापत्ति प्रमाण पत्र हासिल किया जाता है। मामला संज्ञान में आने के बाद अब रुद्रप्रयाग जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण के सहायक अभियंता शैलेंद्र तोमर ने मीडिया को बताया कि दस मंजिला भवन निर्माण कार्य को लेकर संचालक से स्वीकृति पत्र मांगे गए हैं। अभी तक इसके निर्माण को लेकर जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण की ओर से कोई अनुमति नहीं दी है।
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