Uttarakhand Manaskhand Corridor Ropeway: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार यात्रा को सुगम बनाने के लिए प्रदेश मे रोपवे प्रोजेक्ट को लेकर योजना कर रही तैयार, मानसखंड कॉरिडोर से बदलेगी कुमाऊं की तस्वीर, बनेंगे 16 रोपवे, फिजिबिलिटी टेस्ट शुरू…..
Uttarakhand Manaskhand Corridor Ropeway: उत्तराखंड के धार्मिक स्थलों को विकसित करने के उद्देश्य के साथ ही यात्रा को सुगम बनाने के लिए राज्य सरकार हमेशा अपनी ओर से कुछ ना कुछ प्रयास करती रहती है इसी के अंतर्गत अब राज्य ऊ पर्वतमाला प्रोजेक्ट तैयार किया गया है जिसमें 39 रोपवे प्रस्तावित किये गए है जबकि 16 मानसखंड कॉरिडोर में आ रहे हैं। रोपवे के इन प्रस्तावों पर केंद्रीय एजेंसी ने फीजिबिलिटी टेस्ट भी शुरू कर दिया है।
यह भी पढ़ें- Pune tanakpur train Schedule: पुणे से टनकपुर के लिए शुरू हुई मानसखंड एक्सप्रेस ट्रेन
Kumaon Ropeway projects बता दें उत्तराखंड की धामी सरकार प्रदेश में रोपवे प्रोजेक्ट को लेकर योजना तैयार कर रही है। पर्वतमाला प्रोजेक्ट के तहत 39 रोपवे परियोजना पर काम शुरू किया गया है जिसमें मानसखंड के 16 कॉरिडोर आ रहे हैं। धामी सरकार का मानना है कि इससे पहाड़ों के साथ छेड़छाड़ किए बिना लोगों की यात्रा को सुगम बनाया जा सकता है। इसके लिए उत्तराखंड के तीर्थस्थलों और पर्यटन की दृष्टि से बेहतरीन स्थलों को कनेक्टिविटी के लिए बड़े पैमाने पर काम शुरू किया गया है। केदारखंड की भांति मानसखंड के मंदिरों और धार्मिक स्थलों को विकसित करने के उद्देश्य से प्रारंभ किए गए मानसखंड मंदिर माला मिशन राज्य सरकार के प्रयास रंग लाने लगे हैं। दरअसल 39 रोपवे परियोजना पर काम शुरू किया गया है इसके लिए फीजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार कराई जा रही है और जल्द ही धामी सरकार इस योजना को मंजूर कर काम शुरू कराने की तैयारी में है। मानस खंड के 16 कॉरिडोर के तहत रोपवे बनने से तीर्थाटन और पर्यटन में तेजी आने की संभावना है जिसके लिए धामी सरकार ने मेगा प्रोजेक्ट तैयार किया है इसी स्वरूप में इसका विकास किया जाना है।
यह भी पढ़ें- उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों में घूमने का सुनहरा अवसर IRCTC लेकर आया 11 दिन का स्पेशल पैकेज
मानसखंड कॉरिडोर:-
Parvat mala project Kumaon Ropeway: मानसखंड कॉरिडोर में कैंची धाम, बाराही धाम देवीधूरा, रीठा साहिब, चंपावत गोल्ज्यू मंदिर, पूर्णागिरी धाम, पिथौरागढ़ स्थित मोस्टमानू देवता मंदिर, हाट कालिका मंदिर, पाताल भुवनेश्वर मंदिर, बेणीनाग मंदिर, बागेश्वर में बागनाथ, बैजनाथ, कोट भ्रामरी मंदिर, अल्मोड़ा में जागेश्वर मंदिर समूह, कटारमल सूर्य मंदिर, नंदा देवी मंदिर, कसार देवी मंदिर, बिनसर महादेव मंदिर, हैड़ाखान मंदिर जैसे ऐतिहासिक और पौराणिक मंदिर शामिल हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अनुसार मानसखंड मंदिर माला मिशन को सरकार प्राथमिकता पर ले रही है इसका उद्देश्य यह है कि केदारखंड की भांति ही लोग मानसखंड के बारे में भी जान सकें।
यह भी पढ़ें- उत्तराखंड के इन जगहों पर बनेंगे 35 नए रोपवे, सफर होगा बेहद आसान Uttarakhand Ropeway News
मानस खंड में बढ़ा है तीर्थाटन:-
Uttarakhand Parvatmala Pariyojana मानसखंड में पिछले कुछ वर्षों में आने वाले लोगों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है जिससे इस क्षेत्र के प्रमुख तीर्थ और पर्यटन स्थलों को लेकर यात्रियों का रुझान बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। कुछ दिन पहले पुणे से 300 से अधिक यात्रियों का दल मानस खंड के दर्शन के लिए आया था यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए सरकार सड़क नेटवर्क के साथ-साथ रोपवे नेटवर्क पर विशेष जोर दे रही है। मानस खंड कॉरिडोर के तहत नैनीताल में दो ,अल्मोड़ा में सात जागेश्वर में दो, पिथौरागढ़ में तीन और चंपावत में दो रोपवे प्रोजेक्ट निर्माण की योजना तैयार की जा रही है।
यह भी पढ़ें- उत्तराखंड: देहरादून-मसूरी बनेगा देश का सबसे लंबा रोपवे मात्र 18 मिनट में होगी दूरी तय
मानसखंड कॉरिडोर से बदल जाएगी कुमाऊं की तस्वीर:-
उत्तराखंड पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान बन चुका है वहीं गढ़वाल में केदारखंड के बाद अब मानसखंड बनने से कुमाऊं की तस्वीर बदलने वाली है। कुमाऊं को संवारने, समृद्ध और आध्यात्मिक बनाने के लिए मानसखंड मंदिर माला मिशन के तहत रोपवे तैयार किया गया है जिससे यात्रा को सुगम बनाया जा सकेगा। इससे स्थानीय लोगों के बेहतर रोजगार मिलने के साथ ही श्रद्धालुओं और पर्यटकों को कुमाऊं की संस्कृति और सभ्यता को जानने का मौका मिलेगा। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुछ समय पहले पिथौरागढ़ दौरे पर गए थे जहां पर वो 18000 से अधिक फीट की ऊंचाई पर पहुँचने वाले पहले प्रधानमंत्री बने वहां से आदि कैलाश चीन सीमा पर बसे गूंजी गांव भी पहुंचे थे। प्रधानमंत्री मोदी के दौरे के बाद विश्व पटल पर छाए आदि कैलाश ,जागेश्वर धाम सहित कुमाऊं के अन्य पर्यटक स्थलों में पर्यटकों की आवाजाही बढ़ने लगी और पर्यटन को बहुत को बढ़ावा मिला।
यह भी पढ़ें- उत्तराखण्ड: कई रहस्यों से भरी है पाताल भुवनेश्वर गुफा, छिपे हैं कलयुग के अंत के प्रतीक