पंचतत्व में विलीन हुए शहीद हवलदार बिशन सिंह (Martyr havildar Bishan Singh), गलवान घाटी में चीनी झड़प के दौरान हुए थे घायल..
लद्दाख के गलवान घाटी में मां भारती की रक्षा के लिए चीनी सेना से जा भिड़ने वाले देश के वीर सपूत शहीद हवलदार बिशन सिंह (Martyr havildar Bishan Singh) आज पंचतत्व में विलीन हो गए। रानीबाग स्थित चित्रशिला घाट पर शहीद जवान का अंतिम संस्कार पूरे सैन्य सम्मान के साथ किया गया। इस दौरान पवित्र चित्रशिला घाट पर शहीद के अंतिम दर्शन के लिए सैकड़ों लोगों का हूजूम उमड़ पड़ा। शहीद की अंतिम यात्रा में भारत माता की जय और जब तक सूरज चांद रहेगा बिशन तेरा नाम रहेगा जैसे नारे गूंजायमान होते रहे। सेना के जवानों द्वारा अंतिम सलामी देने के बाद शहीद बिशन सिंह की चिता को उनके बड़े भाई जीवन सिंह और बेटा मनोज ने मुखाग्नि दी।
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पार्थिव शरीर देखते ही बेसुध हो गई शहीद की पत्नी, पुत्र-पुत्री का भी रो-रोकर बुरा हाल:-
गौरतलब है कि गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प में मूल रूप से राज्य के पिथौरागढ़ जिले के बंगापानी तहसील के माणीधामी गांव निवासी हवलदार बिशन सिंह घायल हो गए थे। हवलदार बिशन सेना की 17 कुमाऊं रेजीमेंट में तैनात थे। बीते शुक्रवार को चंडीगढ़ स्थित सेना अस्पताल में उपचार के दौरान वह जिंदगी की जंग हारकर वीरगति को प्राप्त हुए। बीती रात उनका पार्थिव शरीर हल्द्वानी के कमलुवागांजा में स्थित उनके भाई के घर लाया गया। जहां रविवार सुबह से ही शहीद के अंतिम दर्शनों को लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। शहीद बिशन की पत्नी सती देवी जहां पति के पार्थिव शरीर को देखकर बेसुध हो गई वहीं उनके बेटे मनोज और बेटी मनीषा की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। पड़ोसियों और रिश्तेदारों ने उन्हें ढाढस बंधाने की कोशिश की। शहीद बिशन इसी महीने की 31 तारीख को रिटायर होने वाले थे।
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