Uttarakhand dairy farming self-employment: प्रशांत सिंह बिष्ट ने पशुपालन को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जोड़कर अपनाया स्वरोजगार का रास्ता, अन्य युवाओं के लिए भी बन रहे प्रेरणा...
prashant Bisht of supi mukteshwar dhari block nainital self-employment dairy farming milking machine uttarakhand latest news today: उत्तराखंड के युवा एक ओर जहां रोजगार की तलाश में बड़े-बड़े शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर प्रदेश मे ऐसे कई सारे युवा मौजूद है जो स्वरोजगार की राह चुनकर अपने भविष्य को संवार रहे हैं। हम आए दिन आपको ऐसे ही काबिल युवाओं से रूबरू करवाते रहते हैं जो अपनी मेहनत के बलबूते पर विशेष क्षेत्रों में अपनी पहचान बना रहे हैं। आज हम आपको नैनीताल जिले के प्रशांत सिंह बिष्ट से रूबरू करवाने वाले हैं जो पारंपरिक पशुपालन को वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ जोड़कर स्वरोजगार के क्षेत्र में काम कर रहे है। इतना ही नहीं बल्कि उन्हें हर माह नियमित रूप से आमदनी भी मिल रही है।
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अभी तक मिली जानकारी के अनुसार नैनीताल जिले के धारी ब्लॉक के मुक्तेश्वर क्षेत्र के सूपी गांव के निवासी 24 वर्षीय प्रशांत सिंह बिष्ट ने पारंपरिक पशुपालन को वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ जोड़कर स्वरोजगार का नया मार्ग चुना है। इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत डेयरी फार्म न केवल शुरू किया बल्कि उन्हे इससे नियमित आमदनी भी मिल रही है, जो अन्य क्षेत्र के युवाओं के लिए प्रेरणा का केंद्र बन रहे हैं। दरअसल प्रशांत के मुताबिक उन्होंने हल्द्वानी में कोचिंग से लेकर दुकानदारी तक के लिए कई प्रयास किया लेकिन जब उन्हें संतोषजनक परिणाम नहीं मिले तो वह अपने गांव लौट आए और डेयरी फार्मिंग को व्यवसाय के रूप में अपनाया। वर्तमान में प्रशांत जर्सी और होलिस्टीन नस्ल की चार गायो से मिल्किंग मशीन के माध्यम से दूध निकालते हैं। जिससे स्वच्छता बनी रहती है और पशुओं को भी नुकसान नहीं होता है।
हर माह 20 हज़ार रुपये कमा रहे प्रशांत
प्रशांत ने बताया कि वह हर महीने लगभग ₹20,000 का लाभ अर्जित कर रहे हैं, जिससे ऋण की किस्त चुकाने के साथ-साथ वह अपने भविष्य के लिए योजना बना रहे हैं। प्रशांत नियमित रूप से भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के विशेषज्ञों के संपर्क में रहते हैं और नई तकनीकों को अपने डेयरी प्रबंधन में शामिल कर रहे हैं। उनका लक्ष्य भविष्य में डेयरी को एक बड़े फार्म में बदलना है ताकि अन्य बेरोजगार युवाओं और महिलाओं को इससे जोड़ा जा सके। धारी रामगढ़ और ओखलकाँडा ब्लॉक मे प्रशांत सबसे कम उम्र के ऐसे युवा बने हैं जिन्होंने वैज्ञानिक विधियों से इसकी शुरुआत की है।
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