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Rudraprayag district pawan kumar kedarnath horse handler became ratura zila panchayat member
Image : social media ( Pawan Rudraprayag zila panchayat)

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Rudraprayag: रूद्रप्रयाग के पवन ने केदारनाथ में थामी घोड़ों की लगाम अब बने जिला पंचायत सदस्य

Pawan Rudraprayag zila panchayat: केदारनाथ में घोड़ो की लगाम थामने वाला पवन कुमार अब थामेंगा जिला पंचायत की कमान, MA की डिग्री की है हासिल

Rudraprayag district pawan kumar kedarnath horse handler became ratura zila panchayat member: उत्तराखंड पंचायत चुनाव में इस बार काफी सारे नौजवान युवाओं ने गांव की जिम्मेदारी अपने हाथों ली है जिसके चलते ग्रामीणों ने उन पर भरोसा जताते हुए उन्हें पंचायत चुनाव में जीत दिलवाई है। ऐसी ही कुछ अद्भुत और दृढ़ संकल्प की कहानी है रुद्रप्रयाग जिले के घोड़ा खच्चर संचालक पवन कुमार की जिन्होंने कम उम्र में जिला पंचायत सदस्य बनकर अपने क्षेत्र की जिम्मेदारी व विकास की जिम्मेदारी निभाने का फैसला लिया है ।

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अभी तक मिली जानकारी के अनुसार रुद्रप्रयाग जिले के रतूड़ा क्षेत्र के पवन कुमार ने जिला पंचायत का चुनाव लड़कर अपने हाथों एक नई जिम्मेदारी ले ली है इतना ही नहीं बल्कि उनकी कहानी सिर्फ चुनाव जीतने तक कि नहीं है बल्कि यह कहानी है जमीनी संघर्ष आत्मनिर्भरता और जन सेवा की। जहां आजकल के युवा बेरोजगारी से हताश होकर अनुचित कदम तक उठा लेते हैं वहीं दूसरी ओर पवन कुमार एक ऐसे युवा है जिन्होंने हताश होने की जगह लोगो के लिए एक प्रेरणा की मिसाल पेश की है।

MA की डिग्री धारक है पवन

दरअसल पवन कुमार ने वर्ष 2022 में गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर से MA की डिग्री प्राप्त की इसके बाद उन्होंने सरकारी नौकरी के लिए तमाम प्रयास किए लेकिन उन्हें सफलता हासिल नहीं हुई। जिसके बाद पवन ने हार मानने की बजाय अपने पिता के कार्य को अपनाते हुए केदारनाथ यात्रा पर घोड़े खच्चर चलाकर रोजगार का रास्ता चुना इससे पहले पवन विकासखंड जखोली में दो वर्षों तक डाटा ऑपरेटर की नौकरी भी कर चुके हैं।

घोडों की लगाम से सीधा जिला पंचायत की कमान तक का सफर

इस वर्ष मई में जब केदारनाथ यात्रा शुरू हुई तो पवन ने यात्रियों को घोड़े पर चढ़ाकर केदारनाथ तक पहुंचाया। तभी इस बीच जिला पंचायत चुनाव की घोषणा हुई और रतूडा सीट से अनुसूचित जाति के लिए सीट आरक्षित हुई तो पवन ने भी चुनावी मैदान में उतरने का फैसला लिया जिसमें उन्होंने कई राजनीतिक दिग्गजों को बुरी तरह हराकर शानदार जीत हासिल की।

उम्र कम तजुर्बा ज्यादा

पवन कुमार की उम्र भले ही 27 वर्ष हो लेकिन उनका अनुभव किसी बुजुर्ग से कम नहीं है। पवन के पिता भी वर्षों तक केदारनाथ में घोड़े खच्चर चलाकर परिवार का भरण पोषण करते थे और अब पवन भी क्षेत्र के अन्य युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुके हैं। पवन का कहना है कि मैंने गरीबी देखी है बेरोजगारी झेली है इसलिए अब मेरा मकसद यह है कि मेरे जैसे युवा संघर्ष करें लेकिन उन्हें अकेला न रहना पड़े इसलिए क्षेत्र के युवाओं के लिए अवसर देना मेरी पहली प्राथमिकता होगी। पवन की इस विशेष उपलब्धि के बाद से उन्हें लगातार बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।

पवन कुमार ने भाजपा प्रत्याशी को दी करारी शिकस्त

पवन कुमार को 3270 वोट मिले जबकि उनके प्रतिद्वंदी राजेंद्र लाल को 1693 वोटो से संतुष्ट होना पड़ा। इसी क्रम मे पवन ने भाजपा प्रत्याशी को एकतरफा अंदाज में 1577 मतों से पराजित किया। वहीं अन्य प्रत्याशियों को भी पवन कुमार से कम वोट मिले जिसके कारण उन्हे हार का सामना करना पड़ा।

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