हमारे समाज में आए दिन कुछ ऐसी घटनाएं होती हैं जो हृदय को अन्दर तक झकझोर कर रख देती है। आज एक बार फिर राज्य के देहरादून जिले से एक ऐसी ही दिल को झकझोर देने वाली घटना सामने आ रही है। जहां स्कूल बस चालक और स्टाफ की लापरवाही से चलती हुई एक स्कूल बस की खिड़की से गिरकर एक साढ़े तीन साल का मासूम बच्चा गम्भीर रूप से घायल हो गया। उक्त घटना में संवेदनहीनता की सारी हदें उस समय पार हो गई जब स्कूल प्रबंधन एवं स्कूल की प्रिंसिपल ने भी इस लापरवाही पर पर्दा डालने का प्रयास किया और घायल बच्चे को चुपचाप अस्पताल में भर्ती कराकर उसे सामान्य घटना बनाने की कोशिश करते रहे। इतना ही नहीं स्कूल के स्टाफ और प्रधानाचार्य पर यह भी आरोप है कि उन्होंने घायल बच्चे के परिजनों को उक्त घटना की हकीकत बताने के बजाय घंटों तक गुमराह किया। परिजनों को घटना का पता अस्पताल में बच्चे के होश में आने के बाद चला जिसके बाद घायल बालक के पिता ने स्कूल की प्रिंसिपल और स्टाफ के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य की राजधानी देहरादून जिले के मांडुवाला निवासी एसके गुप्ता का साढ़े तीन साल का मासूम बच्चा भारुवाला स्थित दून हेरीटेज स्कूल में केजी कक्षा में पढ़ता है। वह स्कूल की बस से ही स्कूल आता-जाता है। घटना 8 मई के दोपहर बाद की है जब डेढ़ बजे तक भी मासूम अपने घर नहीं पहुंचा तो बच्चे के पिता ने स्कूल प्रबंधन को फोन कर इस बाबत बात की। बच्चे के अब तक घर न पहुंचने का कारण पूछने पर स्कूल वालों ने बताया कि स्कूल बस खराब हो गई है तो दूसरी बस से बच्चा थोड़ी देर बाद घर पहुंच जाएगा। परंतु जब फोन करने के एक घंटे बाद भी बच्चा घर नहीं पहुंचा तो उसके पिता खुद स्कूल पहुंच गया जहां यह सुनकर उनके पैरों तले की जमीन खिसक गई कि स्कूल बस तो बहुत देर पहले उनके बच्चे को लेकर चली गई है। इस बाबत जब उन्होंने स्कूल के एक कर्मचारी से सख्ती से पूछताछ की तो उसने बताया कि उनका बच्चा स्कूल परिसर में ही उस समय खिड़की से गिर गया था जब बस चलने लगी। इस कारण उसे पास के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
स्कूल प्रबंधन ने उड़ाई नियमों की धज्जियां, बस की खिड़कियों पर नहीं लगे हैं स्टील गार्ड : अस्पताल पहुंचने पर गुप्ता ने अपने बच्चे को बेहोश पडा देखा। जब काफी देर बाद बच्चें को होश आया तो उसने अपने परिजनों को सब सच-सच बता दिया कि वह कैसे चलती बस से गिर पड़ा। बच्चे की बात सुनकर परिजनों का खून खौल गया उन्होंने शनिवार को स्कूल की प्रिंसिपल मीनाक्षी व अन्य स्टाफ के खिलाफ लापरवाही और किशोर न्याय अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया। घटना के बाद से बच्चा इतना डरा हुआ है कि अभी भी वह बार-बार बेहोशी की हालत में चला जा रहा है। सूत्रों से पता चला है कि स्कूल प्रबंधन ने यातायात नियमों की धज्जियां उड़ाई हुई है यहां तक कि बस की खिड़कियों के बाहर स्टील गार्ड भी नहीं लगाया गया है। ऐसे में कभी भी कोई बच्चा बाहर झांकते हुए बस से नीचे गिर सकता है। इसके साथ ही बस में छोटे बच्चों के लिए एक अतिरिक्त परिचालक की व्यवस्था भी नहीं है, जबकि यातायात नियमों में इसे एक आवश्यक कदम बताया गया है।