उत्तराखंड की शतरंज खिलाड़ी शेराली ने महिला कैंडिडेट मास्टर का खिताब हासिल कर रचा कीर्तिमान
वह खेल के मानक प्रारूप में 2000 से अधिक प्रकाशित फीडे रेटिंग की अनिवार्य आवश्यकता को पार करके इस सम्मान के लिए पात्र बन गई है।महिला कैंडिडेट मास्टर का खिताब हासिल करने वाली वह उत्तराखंड की पहली खिलाड़ी बनी है।2029 की वर्तमान रेटिंग के साथ, वह अब भारत की शीर्ष 50 सक्रिय महिला शतरंज खिलाड़ियों की सूची में प्रवेश करने के कगार पर है। शेराली को बचपन से शतरंज का शौक रहा है और उनका सपना ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड मेडल जीतना है। शेराली बताती है कि दिमाग के इस खेल में रेटिंग को बनाना एक बहुत बड़ी चुनौती है ऐसे में वह अभी से ओलंपिक के लिए खुद को तैयार रखने के लिए हर दिन अभ्यास करती रहती हैं। शेराली पटनायक अभी डीपीएस स्कूल देहरादून में कक्षा नवीं की छात्रा है जो अभी से अपनी प्रतिभा को बेहद ही शानदार तरीके से निखार रही है। शेराली की माता शिवानी पटनायक डीबीएस पीजी कॉलेज देहरादून में केमिस्ट्री डिपार्टमेंट की असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं जबकि उनके पिता सुशांत पटनायक आईएफएस ऑफिसर के पद पर तैनात है।
देवभूमि दर्शन से खास बातचीत: देवभूमि दर्शन से खास बतचीत में शेराली की मां शिवानी पटनायक ने बताया कि जब उन्हें छुट्टी नहीं मिलती तो वह अकेला ही देश विदेशों की यात्रा भी कर लेती हैं। शेराली बचपन में अपनी मां शिवानी के साथ शतरंज खेला करती थी जिसके चलते उन्हें यह खेल बेहद अच्छा लगने लगा और उन्होंने छोटी सी उम्र में ही प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करना शुरू कर दिया था। उन्होंने अपना पहला टूर्नामेंट 7 वर्ष की आयु में आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में खेला था। अब तक वह करीब 100 से अधिक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में प्रतिभाग कर चुकी है। शेराली ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता के अलावा कोच और शिक्षकों को दिया है। पिछले वर्ष दिसंबर 2023 एशियाई शतरंज में रजत पदक जीतकर उत्तराखंड की खििलाड़ी शेराली पटनायक ने देश का मान बढ़ाया। शेराली ने यूएई में चल रही एशियाई यूथ रैपिड शतरंज प्रतियोगिता में अंडर-14 आयु वर्ग में खेलते हुए अपना दूसरा इंटरनेशनल पदक जीता था। शेराली पटनायक ने वर्ष 2022 श्रीलंका में आयोजित राष्ट्रीय मंडल खेलों में पहला अंतरराष्ट्रीय रजत पदक जीता था।