बधाई: उत्तराखंड की सृष्टि लखेड़ा की फिल्म ‘एक था गांव’ को राष्ट्रपति से मिला अवॉर्ड….
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Srishti Lakhera Film award: उत्तराखण्ड पर आधारित है फिल्म, पहाड़ की समस्या पलायन की पटकथा पर आधारित है पृष्ठभूमि….
Srishti Lakhera Film award
समूचे उत्तराखण्ड को गौरवान्वित करने वाली एक बड़ी खबर देश की राजधानी नई दिल्ली से सामने आ रही है जहां उत्तराखंड की बेटी सृष्टि लखेड़ा द्वारा निर्देशित फिल्म ‘एक था गांव’ को बेस्ट नॉन फीचर फिल्म का अवॉर्ड मिला है। उन्हें यह सम्मान बीते रोज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रदान किया। आपको बता दें कि सृष्टि ने इस फिल्म का प्रोडक्शन और निर्देशन किया है। मंगलवार को आयोजित समारोह में सृष्टि को पुरस्कृत करने के बाद राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने कहा कि ‘मुझे खुशी है कि महिला फिल्म निर्देशक सृष्टि लखेरा ने ‘एक था गांव’ नामक अपनी पुरस्कृत फिल्म में एक 80 साल की वृद्ध महिला की संघर्ष करने की क्षमता का चित्रण किया है। महिला चरित्रों के सहानुभूतिपूर्ण और कलात्मक चित्रण से समाज में महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता और सम्मान में वृद्धि होगी।’
(Srishti Lakhera Film award)
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आपको बता दें कि सृष्टि लखेड़ा मूल रूप से राज्य के टिहरी गढ़वाल जिले के कीर्तिनगर ब्लॉक के सेमला गांव की रहने वाली है। उन्होंने पलायन की पीड़ा को देखते हुए यह फिल्म बनाई है। अपनी फिल्म की पटकथा एवं पलायन की पीड़ा को साझा करते हुए सृष्टि बताती है कि पहले उनके गांव में 40 परिवार रहते थे और अब पांच से सात लोग ही बचे हैं। ऐसी ही परिस्थितियां उत्तराखण्ड के लगभग सभी गांवों में है। लोगों को किसी न किसी मजबूरी से गांव छोड़ना पड़ रहा है। इसी समस्या को उन्होंने अपनी एक घंटे की फिल्म के रूप में पेश किया है। जिसमें मुख्य रूप से दो पात्र हैं। 80 वर्षीय लीला देवी और 19 वर्षीय किशोरी गोलू। सबसे खास बात तो यह है कि उनकी यह फिल्म ‘एक था गांव’ इससे पहले मुंबई एकेडमी ऑफ मूविंग इमेज (मामी) फिल्म महोत्सव के इंडिया गोल्ड श्रेणी में चयनित हो चुकी है।
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