Vijay Singh Gusain Army : मध्य प्रदेश में ट्रेनिंग के दौरान शहीद हुए विजय सिंह गुसाईं, 7वीं गढ़वाल राइफल में हवलदार के पद पर थे तैनात, दो बच्चों के सिर से उठा पिता का साया...
Vijay Singh Gusain Army :समूचे उत्तराखंड के लिए मध्यप्रदेश के भोपाल से एक बेहद दुखद खबर सामने आ रही है जहां गढ़वाल राइफल्स के जवान हवलदार विजय सिंह गुसाईं ट्रेनिंग के दौरान शहीद हो गए। इस दुखद खबर से जहां जवान के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है वहीं प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई है।
Tehri Vijay Singh Gusain Army martyr in Bhopal :अभी तक मिली जानकारी के अनुसार टिहरी जिले के नरेंद्र नगर विधानसभा क्षेत्र के तहसील गजा के ग्राम कंडारी गांव ( पोखरी क्वीली) के निवासी 37 वर्षीय विजय सिंह गुसाईं वर्ष 2009 में गढ़वाल राइफल्स में भर्ती हुए थे जो 7 गढ़वाल राइफल में हवलदार के पद पर तैनात थे और इन दिनों मध्यप्रदेश के भोपाल में अपनी तैनाती दे रहे थे। वहीं बीते 23 जून को ट्रेनिंग के दौरान लोहे का डमी बम विजय सिंह के सिर पर गिर गया जिसके कारण वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे, जिसके बाद उन्हें उपचार के लिए सेना अस्पताल ले जाया गया जहां पर उन्होंने दम तोड़ दिया।
दो बच्चों के सिर से उठा पिता का साया ( Vijay Singh Gusain Army)
विजय सिंह अपने पीछे अपनी मां कमली देवी पत्नी पूजा और दो 7 और 4 वर्ष के छोटे बच्चों को रोता बिलखता छोड़ गए हैं। बताते चले वर्तमान में विजय सिंह की पत्नी और बच्चे देहरादून के गढ़ी कैंट में और माँ गांव मे रहती है । विजय सिंह एक महीने पहले ही छुट्टी से ड्यूटी पर लौटे थे।
विजय सिंह को पूरे सैन्य सम्मान के साथ दी जाएगी अंतिम (Tehri Vijay Singh Gusain Army martyr in Bhopal)
विजय सिंह गुसाईं का पार्थिव शरीर बीते मंगलवार को भोपाल से दिल्ली तक हाईवे मार्ग से लाया गया जिसके बाद आज उनका पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव कंडारी ले जाया गया है जहां पर आज बुधवार को पूरे सैन्य सम्मान के साथ कोटेश्वर घाट में उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी।
विजय सिंह परिवार का एकमात्र भरण पोषण का थे सहारा
शहीद सैनिक विजय सिंह के पिता बेताल सिंह गुसाईं का निधन पहले ही हो चुका है। विजय के परिवार में उनका एक बड़ा भाई और दो बहने हैं जिनके भरण पोषण का इकलौता सहारा विजय ही थे जो इस हादसे के बाद उनसे हमेशा के लिए छीन गए है । विजय सिंह की शहादत के बाद से उनके परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है वहीं उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।