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Devendra Khugshal police daroga
सांकेतिक फोटो Devendra Khugshal police daroga

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Dehradun ISBT Police Daroga रिश्वत कांड: विजिलेंस की छापेमारी में मिला लाखों का कैश

Devendra Khugshal police daroga: रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े गए थे चौकी प्रभारी, अब अलमारी से मिला लाखों का कैश

Devendra Khugshal police daroga गौरतलब हो कि देहरादून के पटेलनगर थाना क्षेत्र की आईएसबीटी चौकी में तैनात उपनिरीक्षक देवेंद्र खुगशाल को विजिलेंस की टीम ने बीते बुधवार को एक लाख रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया था। गिरफ्तारी के बाद जब विजिलेंस टीम ने चौकी में उनकी अलमारी की तलाशी ली, तो वहां से करीब साढ़े तीन लाख रुपये नकद बरामद किए गए। इस कैश को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी न मिलने पर उसे सीज कर दिया गया है। जानकारी के मुताबिक, देवेंद्र खुगशाल ने एक जमीन विवाद में तीन लोगों को गैंगस्टर एक्ट में फंसाने और गिरफ्तारी का डर दिखाकर उनसे पांच लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी। बुधवार को उन्होंने इसका पहला किस्त के तौर पर एक लाख रुपये लिया, तभी विजिलेंस टीम ने कार्रवाई करते हुए उन्हें दबोच लिया।
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ISBT Dehradun police chowki incharge गिरफ्तारी के तुरंत बाद विजिलेंस टीम ने चौकी पहुंचकर उनकी अलमारी की तलाशी ली। जांच के दौरान साढ़े तीन लाख रुपये की नकदी और कुछ जरूरी दस्तावेज भी कब्जे में लिए गए। पूछताछ में इस नकदी को लेकर कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला, जिस पर विजिलेंस ने उसे जब्त कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है। आपको बता दें कि देवेंद्र खुगशाल फिलहाल न्यायिक हिरासत में भेजे जा चुके हैं। उन्हें विजिलेंस कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया। वहीं, मामले की गंभीरता को देखते हुए एसएसपी अजय सिंह ने पटेलनगर कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक हरिओम चौहान का भी तत्काल प्रभाव से पुलिस कार्यालय में स्थानांतरण कर दिया है।
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Dehradun police daroga news today सूत्रों के अनुसार, कुछ महीने पहले देवेंद्र खुगशाल का ट्रांसफर पर्वतीय जिले में किया गया था, लेकिन अन्य कुछ दारोगाओं की तरह उन्होंने भी जुगाड़ लगाकर अपना ट्रांसफर रुकवा लिया था। इससे पहले वह नेहरू कॉलोनी क्षेत्र की बाईपास और लालतप्पड़ चौकी में तैनात रह चुके हैं। करीब डेढ़ साल पहले उन्हें आईएसबीटी चौकी का प्रभार सौंपा गया था। फिलहाल विजिलेंस टीम इस पूरे मामले की गंभीरता से जांच कर रही है। रिश्वतखोरी के इस प्रकरण ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या कानून के रखवाले खुद ही कानून तोड़ने वालों की कतार में खड़े हो गए हैं?
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