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Daksh Karki CCRT scholarship
फोटो सोशल मीडिया Daksh Karki CCRT scholarship

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लोकगायक पप्पू कार्की की विरासत को न‌ई उड़ान दें रहे दक्ष को भारत सरकार देगी CCRT स्कॉलरशिप

Daksh Karki CCRT scholarship: “पिता की विरासत को नई उड़ान: दक्ष कार्की को CCRT स्कॉलरशिप, उत्तराखंड लोकगायन को मिला राष्ट्रीय सम्मान,”

उत्तराखंड के पारंपरिक लोकगायन को देशभर में पहचान दिलाने वाले दिवंगत अमर लोकगायक पप्पू कार्की की विरासत अब उनके पुत्र दक्ष कार्की के कंधों पर है और वे इसे संजीदगी से निभा भी रहे हैं। इसी संबंध में एक बड़ी खबर सामने आ रही है। दरअसल दक्ष को भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत संचालित Centre for Cultural Resources and Training (CCRT) की प्रतिष्ठित छात्रवृत्ति प्राप्त हुई है, जो पारंपरिक लोककलाओं को संरक्षण और प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को दी जाती है।
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Daksh Karki uttarakhand singer आपको बता दें कि दक्ष कार्की वर्तमान में संगीताचार्य डॉ. जगमोहन परगाई के निर्देशन में संगीत साधना कर रहे हैं। कम उम्र में ही उनकी गायन प्रतिभा ने कई मंचों पर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया है। यह छात्रवृत्ति न केवल उनके संगीत सफर को प्रोत्साहन देगी, बल्कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को नई दिशा भी देगी। डॉ. परगाई ने इस अवसर पर कहा, “दक्ष सिर्फ गायकी सीख नहीं रहा, बल्कि उसे जी रहा है। वह अपने पिता की आत्मा और भावना को स्वर रूप में सामने ला रहा है। यह स्कॉलरशिप उस यात्रा का पहला पड़ाव है जो बहुत दूर तक जाएगी।” उनका कहना है कि दक्ष ने अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया है और पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए कम उम्र में ही दर्शकों का दिल जीतकर दक्ष अपना संकल्प पूरा करने की दिशा में आगे भी बढ़ रहा है।
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folk singer pappu karki son daksh बताते चलें कि दक्ष की इस उपलब्धि से न केवल परिवार, बल्कि पूरे राज्य में सांस्कृतिक हलकों में खुशी की लहर है। दक्ष की मां कविता कार्की की आंखों में भावुकता और गर्व एक साथ झलक रहा था। उन्होंने कहा, “दक्ष अपने पिता के अधूरे सपनों को पूरा करना चाहता है। उसका सपना है कि उत्तराखंड का लोकसंगीत सीमाओं को पार करे और हर दिल में जगह बनाए।” यह सम्मान उत्तराखंड के उस लोकसंगीत की मान्यता है, जिसे पीढ़ियों से पहाड़ के लोगों ने संजोया और जिया है। वे कहती हैं कि यह सिर्फ एक छात्रवृत्ति नहीं, बल्कि उत्तराखंड की लोक आत्मा को संजोने के लिए दक्ष को मिला राष्ट्रीय आशीर्वाद है।
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Sunil

सुनील चंद्र खर्कवाल पिछले 8 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। वे राजनीति और खेल जगत से जुड़ी रिपोर्टिंग के साथ-साथ उत्तराखंड की लोक संस्कृति व परंपराओं पर लेखन करते हैं। उनकी लेखनी में क्षेत्रीय सरोकारों की गूंज और समसामयिक मुद्दों की गहराई देखने को मिलती है, जो पाठकों को विषय से जोड़ती है।

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