uttarakhand school bus fees : राज्य के सभी निजी स्कूलों की बसों का किराया तय करेगा परिवहन विभाग, जारी हुआ आदेश..
uttarakhand school bus fees: उत्तराखंड सरकार ने राज्य की निजी स्कूलों की बसों की किराए को नियमित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है जिसके तहत अब राज्य के सभी निजी स्कूल वाहनों के किराए को परिवहन विभाग द्वारा तय किया जाएगा जिसके चलते अब अभिभावकों से मनमाने रेट नहीं वसूले जा सकेंगे। इस फैसले के तहत स्कूल बसों के किराए में पारदर्शिता और एकरूपता सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है। जिसे परिवहन विभाग ने जारी कर जल्द ही लागू करने का निर्देश दिया है।
यह भी पढ़ें- Uttarakhand youth policy उत्तराखंड मे लॉन्च होगी यूथ पॉलिसी युवाओं को सरकार देगी भत्ता
uttarakhand private school bus fees बता दें उत्तराखंड के स्कूलों की महंगी फीस यूनिफॉर्म तो अभिभावकों को परेशान करती ही है लेकिन इसके साथ ही अब स्कूल की बसों का किराया भी अभिभावकों को तगड़ा चूना लगा रहा है। दरअसल आम कामर्शियल वाहनों की तरह स्कूली बसों का किराया तय ना होने की वजह से स्कूल वाहन किराए के रूप में मनमाना रेट वसूल रहे हैं जिसके चलते अभिभावकों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
यह भी पढ़ें- उत्तराखंड: तीन साल से पहले नहीं बढ़ेगी फीस, निजी स्कूल नहीं कर सकेंगे मनमानी….
uttarakhand private school bus fare fees news today बताया जा रहा है कि हरिद्वार जिले के रुड़की शहर में स्कूल की बसों का किराया 1600 से ₹2500 तक वसूला जा रहा है ठीक इसी प्रकार से पौडी मे 10 किलोमीटर तक बच्चों की 900 की फीस को ₹1100 प्रति छात्र बढाकर वसूला जा रहा है। इसी प्रकार से अन्य जिलों से भी इस तरह की खामियां नजर आई है। जिस पर महानिदेशक विद्यालय शिक्षा उत्तराखंड ननूखेड़ा देहरादून ने पत्र जारी करते हुए कहा है कि एडवोकेट जसविंदर सिंह निवासी फ्लैट नंबर 304 भागीरथी ब्लॉक सिद्धार्थ पैराडाइज अपार्टमेंट पंडितवाडी देहरादून द्वारा शिकायत सामने आई है कि प्रदेश के निजी स्कूल बसो के किराए में किसी भी प्रकार का कोई प्रावधान नहीं है जिसके तहत अभिभावकों से मनमाना किराया वसूला जा रहा है। महानिदेशालय विद्यालय शिक्षा उत्तराखंड के संदर्भित पत्र दिनांक 4 दिसंबर 2024 की प्रति समस्त संलग्न सहित परिवहन आयुक्त को सौंपा गया है। जिस पर अनुरोध किया गया है कि राज्य में सभी स्कूलों की निजी बसों का किराया जल्द से जल्द निर्धारित किया जाए ताकि अभिभावकों से मनमाने रेट ना वसूल किए जा सके।