Uttarakhand roadways employee strike: उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल समाप्त, निजी बसों के परमिट पर फिलहाल रहेगी रोक….
Uttarakhand roadways employee strike: उत्तराखंड परिवहन निगम के कर्मचारियों ने निजी बसो को परमिट देने और विशेष श्रेणी एवं संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण समेत अन्य मांगों को लेकर 48 घंटे की हड़ताल का ऐलान किया था जिसके चलते बुधवार से शुरू होकर हड़ताल गुरुवार तक चलने वाली थी। जिसके कारण प्रदेश भर में बसो के संचालन पर रोक लग गई थी तथा इस दौरान यात्रियों को अत्यधिक परेशानियों का सामना करना पड़ा था। इसी बीच अब रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल स्थगित कर दी गई है वहीं उच्च स्तरीय समिति ने निजी बसों को परमिट देने पर फिलहाल रोक लगाई है।
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शुरू हुआ रोडवेज बसों का संचालन, यात्रियों के साथ ही शासन एवं रोडवेज प्रबंधन ने भी ली राहत की सांस uttarakhand roadways news today:
बता दें बीते बुधवार से गुरुवार तक चलने वाली राष्ट्रीयकृत मार्गो पर निजी बसों को परमिट देने का विरोध और विशेष श्रेणी एवं संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण की मांग को लेकर रोडवेज की हड़ताल स्थगित कर दी गई है जिसके चलते बुधवार शाम से ही बसो का संचालन शुरू हो गया था हालांकि बुधवार रात तक संचालन पूरी तरह सुचारू नहीं हो पाया क्योंकि अधिकांश चालक परिचालक अवकाश पर थे जिन्हें अब ड्यूटी पर बुलाया जा रहा है। इसके साथ ही सचिव परिवहन की अध्यक्षता में बनाई गई उच्च स्तरीय समिति ने निजी बसों को परमिट देने पर फिलहाल रोक लगाई है। दरअसल हड़ताल के दौरान पूरे प्रदेश में करीब 85% बसों का संचालन बन्द रहा जिससे यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
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बताया जा रहा है की शासन से दो दौर की वार्ता विफल होने के बाद उत्तराखंड परिवहन निगम के कर्मचारियों ने मंगलवार देर रात 12:00 से 48 घंटे की हड़ताल का ऐलान किया था जिससे बुधवार व गुरुवार को प्रदेश में बसो के पहिए थमने वाले थे। इतना ही नहीं बल्कि मोर्चा ने दीपावली के बाद 5 नवंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल का भी ऐलान किया था लेकिन त्योहारी सीजन में हड़ताल को देखते हुए सचिव परिवहन बृजेश कुमार संत ने सोमवार को संयुक्त मोर्चा के अधिकारियों से वार्ता की थी जो असफल रही थी। बताते चले शासन ने 14 अक्टूबर को जारी आदेश दिखाकर परिवहन निगम के कर्मियों को हड़ताल न करने का आग्रह किया था लेकिन जब कर्मचारियों ने आदेश को ध्यान से पढ़ा तो उनका पारा चढ़ गया और वह चल रही वार्ता को बीच में छोड़ आए। दरअसल इस आदेश में लिखा हुआ था कि जब तक एक एसटीए अग्रिम आदेश नहीं दे तब तक कोई भी संभागीय परिवहन प्राधिकरण राष्ट्रीयकृत मार्गों पर निजी बसों को परमिट देने का निर्णय नहीं लेगा और यह आदेश 16 अक्टूबर को देहरादून में हुई आरटीए की बैठक से पूर्व लिया गया था लेकिन जब परिवहन निगम के कर्मचारियों ने आदेश पढ़ा तो वो भड़क उठे। एसटीएफ ने फिलहाल निजी बसों को परमिट न देने का निर्णय इसलिए लिया था ताकि 13 मार्गों के साथ नए मार्ग भी खोले जा सकें। आदेश मे स्पष्ट जिक्र है कि देहरादून से केवल मसूरी और ऋषिकेश हरिद्वार ही नहीं बल्कि कोटद्वार व पौड़ी आदि के लिए निजी बसों का संचालन किया जाए।