उत्तराखण्ड पुलिस ने गर्भवती महिला को अपनी गाड़ी से अस्पताल पहुंचाकर पेश की मानवता की मिशाल
uttarakhand: प्रसव पीड़ा से कराहती बेबश गर्भवती महिला की मदद कर उत्तराखण्ड पुलिस ने पेश की मानवता की मिशाल..
लाॅकडाउन के इस कठिन दौर में भी उत्तराखण्ड पुलिस पूरी तरह अपनी ड्यूटी पर मुस्तैद है। सच कहें तो इन दिनों उत्तराखण्ड पुलिस अपने दो रूपों में कार्य कर रही है उसका एक रूप तो कानून के असल उद्देश्य को पूरा करते हुए लाॅकडाउन का उल्लघंन करने वालों को सबक सिखा रहा है वहीं उसका दूसरा रूप गरीबों, मजदूरों एवं जरूरतमंदों की मदद कर मानवता का पाठ भी पड़ा रहा है। उत्तराखण्ड पुलिस कर्मियों द्वारा मानवता की एक ऐसी ही तस्वीर राज्य के नैनीताल जिले से सामने आ रही है जहां एक गर्भवती महिला के उत्तराखण्ड पुलिस एक देवदूत बनकर सामने आई। जी हां.. खबर है कि राज्य के नैनीताल जिले में पुलिस ने एक गर्भवती महिला को उस समय अस्पताल पहुंचाया जबकि वह गर्भवती महिला प्रसव पीड़ा से कराह रही थी और उसे अस्पताल लेकर जाने के लिए कोई साधन और पैसे उपलब्ध नहीं थे। ऐसे कठिन न समय में पुलिस कर्मियों ने पहुंचकर न सिर्फ उस महिला की जान बचाई अपितु उसे अपनी गाड़ी में अस्पताल पहुंचाकर मानवता की रक्षा भी की।
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उत्तराखण्ड पुलिस ऐसे ही नहीं कहलाती मित्र पुलिस:-
प्राप्त जानकारी के अनुसार पुलिस को सूचना मिली कि राज्य के नैनीताल जिले की हल्द्वानी तहसील के गफूरबस्ती में रहने वाले अमर सिंह की पत्नी उमा गर्भवती है और प्रसव पीड़ा से कराह रही है। खबर मिलते ही बनभूलनपूरा थानाध्यक्ष ने तत्काल एक गाड़ी के साथ महिला कांस्टेबल कमला को गफूरबस्ती भेजा। महिला कांस्टेबल ने बिना देर किए तुरंत उमा को बेस अस्पताल पहुंचाया जहां से चिकित्सकों ने उसे कुछ दवाइयां देकर महिला अस्पताल रेफर कर दिया। जहां उमा के समय रहते अस्पताल पहुंच जाने से परिजनों ने राहत की सांस ली वहीं वो अभी भी पुलिस और महिला कांस्टेबल कमला का धन्यवाद करते नहीं रूक रहे है। उनका कहना है कि पुलिस कर्मियों ने आज इस मुश्किल घड़ी में जच्चा-बच्चा की जान बचा ली। पुलिस कर्मियों की यह नेक पहल आज पूरे शहर में चर्चा का कारण बनी हुई है। हर कोई इस नेक पहल के लिए पुलिस की तारीफ कर रहा है। वहीं पुलिस कर्मियों का कहना है कि उन्होंने तो बस मानवता का फर्ज निभाया है। पुलिस की नेक पहल से आज यह बात सभी को समझ आ गई है कि उत्तराखंड पुलिस को मित्र पुलिस ऐसे ही नहीं कहा जाता।
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