उत्तराखण्ड : विजय पहाड़ से भागा शहर फिर होटल में किया काम और अब दौड़ में जीता स्वर्ण पदक
बता दें कि मूल रूप से राज्य के चम्पावत जिले के लोहाघाट निवासी छह भाई बहनों में चौथे नंबर के विजय कुमार की व्यथा काफी मार्मिक है। महज नौ साल की उम्र में विजय कुमार की मां मंजू देवी का निधन हो गया। पिता की माली हालत ठीक नहीं होने पर विजय अपनी बड़ी बहन के घर चला गया, जबकि अन्य भाई बहन चाचा-चाची के घर रहने लगे। विजय कुमार अपनी दीदी के घर रहकर बकरियां चराता था। कुछ समय बाद विजय के छोटे जीजा उसे पिथौरागढ़ लाए और एक होटल पर काम के लिए लगा दिया। नौ साल के विजय ने कुछ समय तक तो होटल में जूठे बर्तन मांजे परन्तु फिर एक दिन घर से भागकर खटीमा चला गया और होटल में काम करने लगा। वहां भी मन नहीं लगा तो फिर पिथौरागढ़ आ गया। गांव में किसी महिला की पहल पर विजय को जिला बाल कल्याण बोर्ड के पास भेजा गया। बाल कल्याण बोर्ड ने विजय को घनश्याम ओली चाइल्ड वेलफेयर सोसायटी के सुपुर्द कर दिया गया। सोसायटी के अध्यक्ष अजय ओली और गिरीश ओली ने चार माह पूर्व विजय को प्राथमिक स्कूल बास्ते में प्रवेश दिलाया। पढ़ने के साथ ही खेलों में रुचि रखने वाले विजय में गजब की प्रतिभा है।